फतुहा में महात्मा ज्योतिराव फुले का जन्म दिवस का आयोजन
फतुहा। भाजपा कार्यालय मां तारा उत्सव पैलेस गोविन्द पुर में महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्मदिवस आयोजन किया गया, जिसका अध्यक्षता अनिल कुमार शर्मा, संचालन अनामिका पाण्डेय, मुख्य अतिथि भाजपा मीडिया प्रभारी डॉ लक्ष्मी नारायण सिंह पटेल, शोभा। मुख्य अतिथि डॉ लक्ष्मी नारायण सिंह पटेल ने कहा कि महात्मा फुले ज्योतिबा फूले का जन्म 11अप्रैल 1827 को पुणे महाराष्ट्र में में हुआ था तथा मृत्यु 28 नवंबर 1890 को, जीवन साथी सावित्री फुले। इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना बाल विवाह का विरोध विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना संपूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया, 19वीं सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी ,फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला बनाई थी। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से बहुत दुखी होते थे, गिरीश निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। इसलिए उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थी। निर्धन तथा निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने सत्यशोधक समाज 1873 में स्थापित किया। उनके समाज सेवा देखकर 1888 उन्होंने महात्मा की उपाधि दी। ज्योति ने पुरोहित के बिना भी विवाह संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई उच्च न्यायालय से भी मान्यता मिली।बाल विवाह विरोधी और विधवा विवाह के समर्थक से अपने जीवन काल में उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी गुलाम गिरी, तृतीय रत्न,
छत्र पति शिवाजी, राजा भोसला का पाखड़ा, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफियत,महात्मा ज्योतिबा उनके संगठन के संघर्ष के कारण सरकार ने एग्रीकल्चर एक्ट पास किया था,धर्म ,समाज और परंपराओं के सत्य को सामने लाने हेतु कई पुस्तकें भी लिखी।इस अवसर जितेंद्र मिस्त्री, सत्येंद्र पासवान, अंकुश कुमार, आशीष कुमार, अमीषा कुमारी, सीमा कुमारी, पूजा कुमारी, रेखा शर्मा आदि मौजूद थे।