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एड्स समस्या एवं समाधान विषय पर आयोजित किया गया व्याख्यान

मोतिहारी। महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार में स्थापित सेहत केन्द्र तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्त्वावधान में चाणक्य परिसर के रामचन्द्र शुक्ल सभागार में “एड्स : समस्या एवं समाधान” के विषय में विशिष्ट व्याख्यान काआयोजन कियागया। इस कार्यक्रम के संयोजक सेहत केन्द्र के नोडल ऑफिसर तथा सेहत केंद्र के समन्वयक प्रो. पवनेश कुमार तथा राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) के समन्वयक प्रो. प्रसून दत्त सिंह, जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर तथा विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो प्रणवीर सिंह उपस्थित रहे। विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ मिथिलेश कुमार तथा सेहत केंद्र के सह-संयोजक एवं संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ बबलू पाल महोदय उपस्थित रहे। आज के इस कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में सदर चिकित्सालय के डॉ मिथलेश कुमार महोदय ने स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न बिंदुओं को रेखांकित किया तथा उनसे कारकों को पहचान कर उनसे बचने के उपायों पर विस्तृत उद्बोधन प्रस्तुत किया। डॉ मिथिलेश ने अपने व्याख्यान में एड्स से बचने के उपाय को बताते हुए कहा कि व्यक्ति का भौतिक शरीर, आध्यात्मिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहने से ही स्वस्थ कहा जाता है और उन्होनें यह भी बताया कि व्यक्ति में 70 प्रतिशत बीमारी का कारण मानसिक बीमारी होती है। एड्स होने के कारणों पर भी उन्होंने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने ने बताया कि असुरक्षित यौन संबंध से, एच.आई.वी.संक्रमित खून चढ़ाने से, माता-पिता के एच.आई.वी. संक्रमित होने से उनके होने वाले बच्चे को तथा एच.आई.वी. संक्रमित सुई के प्रयोग से एड्स की बीमारी होती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में जीवविज्ञान विभाग के प्रो० प्रणवीर सिंह जी ने भी मनुष्य में तेजी से फैल रहे विभिन्न बीमारियों की ओर संकेत किया तथा उनके निवारण के उपायों पर भी अपना मत प्रस्तुत किया। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि संक्रमित लोगों को दुर्भावनापूर्ण व्यवहार की अपेक्षा उनसे सकारात्मक व्यवहार से और जागरूकता के द्वारा इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। इस कार्यक्रम में सभी अतिथियों तथा श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन सेहत केन्द्र के समन्वयक प्रो० पवनेश कुमार जी ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन सेहत केन्द्र के डॉ बबलू पाल जी ने किया। इस कार्यक्रम में उपस्थित समस्त शोधार्थीगण तथा विद्यार्थीगण ने एड्स बीमारी से बचने के उपायों को तथा इसके प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए संकल्प लिए, जिससे इस संक्रामक बीमारी को रोका जा सके।इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के आचार्यों के साथ ही साथ विश्वविद्यालय के ५० से अधिक शोधच्छात्र एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

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