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नीतीश ने मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान मरीजों की आंखों की रौशनी चले जाने को बताया दुखद

पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर शहर में आंख के एक अस्पताल जहां एक निःशुल्क शिविर में 60 से अधिक लोगों की मोतियाबिंद सर्जरी के कारण लगभग आधे रोगियों को हुई दृष्टि हानि को दुखद बताया। साथ ही कहा कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पटना में आयोजित स्वास्थ्य विभाग के एक कार्यक्रम के दौरान 1919 करोड़ 95 लाख रुपए की लागत से 772 विभिन्न योजनाओं का रिमोट के माध्यम से शिलान्यास, कार्यारम्भ, उद्घाटन एवं लोकार्पण करने के बाद नीतीश ने कहा कि मुजफ्फरपुर में एक निजी अस्पताल में हाल ही में आंखों के इलाज के दौरान मरीजों के आंखों की रौशनी चली गई जो बेहद दुखद है। निजी अस्पतालों को ठीक से काम करना होगा और हम लोग इस घटना की जांच करवा रहे हैं, जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की आंखें चली गईं है, राज्य सरकार की तरफ से उन्हें सहायता दी जाएगी।

गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर नेत्र अस्पताल में पिछले 22 नवंबर को 65 लोगों का ऑपरेशन किया गया था, जिसमें लगभग आधे रोगियों के आंखों की रौशनी चली गयी थी। वर्ष 2005 में सत्ता में आने के बाद से अपनी सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए नीतीश ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जो 6 बिस्तरों का था, उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित करते हुए उसमें बिस्तरों की संख्या बढ़ाकर 30 करने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में पहले 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे, जबकि 2 निजी मेडिकल कॉलेज थे। अब राज्य में 11 सरकारी मेडिकल कॉलेज और 6 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। नीतीश ने कहा कि हम लोगों ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान केंद्र में भी काफी काम करवाया। अब इसे 2500 बिस्तरों वाला अस्पताल बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से मृत्यु होने पर उनके परिजनों को 4 लाख रुपए की सहायता दी जा रही है।

नीतीश ने कहा कि कोरोना जांच प्रतिदिन लगभग 2 लाख किए जा रहे हैं और देश में 10 लाख की आबादी पर जितनी औसत जांच की जा रही है, उससे बिहार में की जा रही जांच अधिक है। उन्होंने कहा कि अब तक कोरोना निरोधक टीकों की 9 करोड़ 1 लाख 56 हजार 334 खुराक दिए जा चुके हैं।

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