चंडीगढ़। जेलों में सजा काट रहे कैदियों और बंदियों को अब सुनवाई के लिए कोर्ट नहीं ले जाना पड़ेगा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई होगी। जेलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की मंजूरी बाकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गृह सचिव राजीव अरोड़ा तथा जेल महानिदेशक मोहम्मद अकील की हाई कोर्ट के साथ समन्वय बनाने की ड्यूटी लगाई है।
अदालतों में सुनवाई के दौरान हार्डकोर अपराधियों के बीच गैंगवार को देखते हुए सरकार ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई कराने की योजना बनाई है। इससे कैदियाें को अदालत ले जाने और वापस लाने पर हर साल खर्च होने वाले 25 करोड़ रुपये बचेंगे। प्रदेश की अधिकतर जेलों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा है। अब इसमें और सुधार के लिए नए उपकरणों की खरीद को सीएम ने मंजूरी दी है।
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