सिद्धारमैया के साथ येदियुरप्पा जैसा होगा? इन 3 सिनेरियो पर टिकी मुख्यमंत्री की कुर्सी
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. राज्यपाल के बाद अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी कह दिया है कि मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) जमीन घोटाले की जांच होनी चाहिए. सिद्धारमैया और उनकी पत्नी इस केस में आरोपी हैं. दोनों पर फर्जी कागजात लगाकर मुआवजा लेने का आरोप है.
कर्नाटक हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद सिद्धारमैया की सीएम कुर्सी रडार में आ गई है. मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग की है. वहीं सरकार के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा है कि इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं है.
हालांकि, 3 सिनेरियो ऐसे बन रहे हैं, जिससे कहा जा रहा है कि आने वाले वक्त में सिद्धारमैया को कर्नाटक सीएम की कुर्सी छोड़नी भी पड़ सकती है. इस स्टोरी में इन्हीं 3 सिनेरियो को विस्तार से समझते हैं…
1. येदियुरप्पा जैसा केस का पैटर्न
2011 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे बीएस येदियुरप्पा. अवैध खनन घोटाले में घिरे येदियुरप्पा पर कर्नाटक के दो वकीलों ने कथित भूमि घोटाला का आरोप लगाया. यह भूमि राजधानी बेंगलुरु के आसपास की थी. दोनों वकीलों ने राज्यपाल और लोकायुक्त को इसके लिए पत्र लिखा.
उस वक्त राज्यपाल थे कांग्रेस के हंसराज भारद्वाज. भारद्वाज ने तुरंत ही केस चलाने और जांच करने की परमिशन दे दी. उनके इस फैसले पर सवाल भी उठे.
हालांकि, राज्यपाल से परमिशन मिलने के बाद लोकायुक्त ने येदियुरप्पा के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी लोकायुक्त की तरफ से पहले येदियुरप्पा के खिलाफ वारंट निकाला गया और फिर उनकी जमानत खारिज कर दी गई.
जेल जाने की नौबत देख येदियुरप्पा सियासी तौर पर बैकफुट पर आ गए. बीजेपी हाईकमान के कहने पर उन्होंने सीएम की कुर्सी छोड़ दी. अक्तूबर 2011 में येदियुरप्पा ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. वे करीब एक महीने तक जेल में रहे.
2. पार्टी के भीतर आंतरिक लड़ाई भी
2023 में जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी तब सिद्धारमैया के साथ-साथ डीके शिवकुमार भी सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी दी गई. ऐसे में अब जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियां कर्नाटक में बनती दिख रही है, उससे शिवकुमार की दावेदारी फिर से सामने आ सकती है.
हालांकि, यह सब जांच एजेंसी की कार्रवाई पर तय होगा. जांच एजेंसी अगर सिद्धारमैया को गिरफ्तार करती है तो उनके लिए सीएम की कुर्सी बचाए रखना मुश्किल हो सकता है.
वहीं हाईकोर्ट के फैसले पर सिद्धारमैया ने प्रतिक्रिया दी है. सिद्धारमैया नेकहा है कि जांच का सामना करने से हिचकिचाऊंगा नहीं, एक्सपर्ट से बातचीत करूंगा कि क्या कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है?
3. सुप्रीम फैसले पर नजर रहेगी
सिद्धारमैया हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में इसके संकेत भी दिए हैं. हाईकोर्ट ने उन्हें आज दोपहर 2 बजे तक आदेश देने की बात कही है.
सिद्धारमैया की दलील है कि राज्यपाल ने जो आदेश दिए हैं, वो संविधान के दायरे से बाहर जाकर दिए हैं. ऐसे आदेश नहीं दिए जा सकते हैं. दरअसल, राज्यपाल ने कैबिनेट की सिफारिश नहीं मिलने के बावजूद मुडा स्कैम में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे.
केस के सुप्रीम कोर्ट में जाने से सबकी नजर अब उधर ही रहेगी. सुप्रीम राहत अगर सिद्धारमैया को नहीं मिलती है तो फिर उनकी कुर्सी पर संकट आ जाएगी. इसकी 2 वजहें हैं-
1. कांग्रेस भ्रष्टाचार के मामले में बैकफुट पर आ जाएगी. पार्टी अब तक इसे साजिश करार दे रही है.
2. सिद्धारमैया के खिलाफ जांच एजेंसी की कार्रवाई तेज होगी. जमीन और पैसे से जुड़ा मामला है. ईडी की भी एंट्री हो सकती है.
वहीं अगर सुप्रीम कोर्ट से कर्नाटक के मुख्यमंत्री को राहत मिल जाती है तो फिर सिद्धारमैया इस मामले में फ्रंटफुट पर आ सकते हैं.
मुडा स्कैम और सिद्धारमैया पर आरोप
कर्नाटक में मुडा स्कैम की गूंज इसी साल जुलाई में सुनाई दी है. बीजेपी के आरोप के मुताबिक कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी ने मैसूर शहरी प्राधिकरण से मिलने वाली जमीन के मुआवजे का गलत तरीके से लाभ लिया.
आरोप के मुताबिक मैसूर शहरी प्राधिकरण उन लोगों को जमीन या मुआवजे का लाभ देता है, जिनकी जमीम विकास के लिए ली जाती है. सिद्धारमैया की पत्नी ने जाली दस्तावेज के जरिए 55.8 करोड़ रुपये की जमीन हासिल की.
इस काम में मुख्यमंत्री ने भी पत्नी की मदद की. वहीं सिद्धारमैया का कहना है कि यह मामला बीजेपी सरकार के वक्त का है. ऐसे में पद का कोई दुरुपयोग मैंने नहीं किया है. बीजेपी राजनीतिक आरोप लगा रही है.
मामले में नया मोड़ तब आया, जब प्रदीप कुमार और टीजे अब्राहम नामक याची ने जांच के लिए राज्यपाल से मंजूरी की मांग की. राज्यपाल ने पहले मामले कैबिनेट से सलाह मांगी और फिर अगस्त में इसकी मंजूरी दे दी.
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