ब्रेकिंग
सलकनपुर में टैक्सी का हुआ ब्रेक फेल, बिजली के खंभे से टकराई... 5 श्रद्धालु हो गए घायल दो नशेड़‍ियों की दोस्ती, एक शराब नहीं लाया तो दूसरे ने पेट में गुप्ती मारकर कर दी उसकी हत्या संसद में प्रियंका गांधी की एंट्री, कांग्रेस की सियासत में क्या-क्या बदलेगा? संभलः सर्वे के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को आपत्ति, निचली अदालत को एक्शन न लेने का आदेश दुनिया में झलक रही भारतीय संस्कृति… PM मोदी ने शेयर किया अनेक देशों में स्वागत का वीडियो 1700 मकानों में आई दरारें, दहशत में घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग! दूल्हा बने भैया निकले बारात लेकर, छोटा पहले ही भगा ले गया लड़की… शादी किसकी हुई? हाथ में संविधान की कॉपी लेकर प्रियंका गांधी ने ली संसद सदस्य की शपथ, राहुल के पीछे चौथी पंक्ति में ज... जब-जब मुख्यमंत्री चुनने में बीजेपी को लगे 72 घंटे, तब-तब सरप्राइज चेहरे की हुई एंट्री सम्भल हिंसा का मास्टरमाइंड कौन? जिसके एक इशारे पर दहल गया पूरा शहर… इन 7 एंगल पर हो रही जांच

मप्र में दस हजार से अधिक फार्मासिस्टों की कमी, रिक्त पद भरने में स्वास्थ्य विभाग की रुचि नहीं

 भोपाल। मप्र में स्वास्थ्य विभाग के प्रशासकीय 10267 केंद्र संचालित हैं। यहां अभी तक फार्मासिस्टों की भर्ती नहीं हो सकी है, जबकि इन स्वास्थ केंद्रों में 126 प्रकार की दवाओं का वितरण और संधारण किया जाता है। वर्तमान में इन उप स्वास्थ्य केंद्रों में गैर-फार्मासिस्टों की मदद ली जा रही है, जो फार्मेसी एक्ट का उल्लंघन है।

बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत देशभर के उपस्वास्थ्य केंद्रों में आयुष, नर्सिंग के साथ फार्मासिस्ट भी कम्युनिटी हेल्थ आफिसर पद के लिए योग्य हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र द्वारा फार्मासिस्टों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
दरअसल, देश में संचालित चिकित्सा प्रणाली मुख्यतः एलोपैथी पर आधारित है, जिसके तहत एमबीबीएस व एमएस/एमडी डिग्रीधारी चिकित्सक इस पद्धति से उपचार करते हैं। एलोपैथी पद्धति में एमबीबीएस, एमएस डिग्रीधारी चिकित्सक के बाद फार्मासिस्ट ही मरीजों एवं बीमारियों से संबंधित जानकारी के सबसे नजदीक हैं। फार्मासिस्ट अपने बी फार्मेसी एवं एम फार्मेसी कोर्स के दौरान इसका अध्ययन भी करते हैं। बी फार्मेसी चार वर्षीय पाठ्यक्रम में थ्योरी एवं प्रैक्टिकल मिलाकर कुल 75 विषयों के तहत एलोपैथी पद्धति विशेषतः बीमारी एवं उसके उपचार से संबंधित अध्ययन किया जाता है, बावजूद इसके फार्मासिस्टों को कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के पद के लिए योग्य नहीं समझा जा रहा।

काउंसिल बना दलालों का अड्डा

फार्मासिस्टों ने बताया है कि मप्र फार्मेसी काउंसिल में निरंतर अनियमितताएं पाई जा रही हैं। इसमें खासतौर पर पंजीकृत फार्मासिस्टों के रिनुअल, नए पंजीयन, एनओसी और पंजीयन के लिए प्रोफाइल क्रिएशन में समस्या होती है, जिससे हजारों फार्मासिस्ट परेशान होते हैं। फार्मासिस्टों का आरोप है कि काउंसिल में बिना लेने-देन कोई काम नहीं होता है, यह दलालों का अड्डा है। काउंसिल परिसर में दलाल सक्रिय हैं। जो फार्मासिस्ट रिश्वत नहीं देते हैं, उनके काम रोक दिए जाते हैं।
इनका कहना है
स्वास्थ्य विभाग के 10267 उप स्वास्थ्य केंद्रों में फार्मासिस्ट के पद को स्वीकृत नहीं किया गया है। जिसके चलते दवाओं का वितरण, संधारण आदि कार्य गैर फार्मासिस्ट से कराया जा रहा है। इससे प्रदेश की जनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
– राजन नायर, प्रदेश संयोजक, स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन, मप्र

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.