ब्रेकिंग
जहानाबाद दोहरे हत्याकांड में सात आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास डोनियर ग्रुप ने लॉन्च किया ‘नियो स्ट्रेच # फ़्रीडम टू मूव’: एक ग्रैंड म्यूज़िकल जिसमें दिखेंगे टाइगर श... छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति रुचि जागृत करने हेतु मनी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस राबड़ी, मीसा, हेमा यादव के खिलाफ ईडी के पास पुख्ता सबूत, कोई बच नहीं सकता “समान नागरिक संहिता” उत्तराखंड में लागू - अब देश में लागू होने की बारी नगरनौसा हाई स्कूल के मैदान में प्रखंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का हुआ आयोजन पुलिस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को दिलाया पांच‌ प्रण बिहार में समावेशी शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ : राधिका जिला पदाधिकारी ने रोटी बनाने की मशीन एवं अन्य सामग्री उपलब्ध कराया कटिहार में आरपीएफ ने सुरक्षा सम्मेलन किया आयोजित -आरपीएफ अपराध नियंत्रण में जागरूक करने के प्रयास सफ...

विध्वंसक चौकड़ी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बन चुकी है खतरा, इसमें शामिल है इस्लामी चरमपंथ और अर्बन नक्सलवाद

भारत एक विविधतापूर्ण और बहुलतावादी समाज है, जिसके पास समृद्ध सांस्कृतिक एवं सामाजिक विरासत है। इसे समाप्त नहीं किया जा सकता है। परंतु एक विध्वंसक चौकड़ी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है। इसमें मुख्य रूप से इस्लामी चरमपंथ और अर्बन नक्सल जैसे तत्व शामिल हैं। इस चौकड़ी का इरादा भारतीय समाज में मौजूद दरारों को खाई का रूप देने और फिर इसका प्रयोग भारत-विरोधी एजेंडे के रूप में करने का है।

माओवादी-मिशनरी गठजोड़, कोयला माफिया, चिट-फंड और सीमापार अवैध घुसपैठ जैसे विषयों पर अध्ययन कर चुके लेखक बिनय कुमार सिंह ने अपनी इस पुस्तक में इस चौकड़ी की गहराई से पड़ताल करने का प्रयास किया है, जिसने भारत के बहुलतावादी समाज को बांटने का षड्यंत्र रचा है। लेखक ने ऐसे छह विषयों पर केस स्टडी भी की है, जिसके तहत जिहादियों, मिशनरियों और राष्ट्र-विरोधी ताकतों ने दुष्प्रचार का सहारा लिया है। केस स्टडी के विषय हैं : रोहिंग्या- आइएसआइ और स्थानीय गठजोड़ ने पैदा किया नया नासूर, पत्थलगड़ी : कैसे समृद्ध परंपरा बनी देश-विरोधी हथियार, तौहीद जमात- आइएसआइ के परस्पर संबंध, श्रीलंका से उत्पन्न होता आतंकी खतरा, जिहाद का गलियारा, अर्बन नक्सलियों की गली-गली सशस्त्र जंग छेड़ने की तैयारी आदि।

तमाम राष्ट्र विध्वंसक शक्तियों को किस प्रकार से विदेशी धन प्राप्त होता है और कैसे भारत में उनका एक पूरा तंत्र काम करता है, पुस्तक में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। पीएफआइ यानी पापुलर फ्रंट आफ इंडिया और इस तरह के कई अन्य चरमपंथी संगठन, अर्बन नक्सली, ईसाई मिशनरियां और इनके लिए पर्दे के पीछे काम करने वाले कथित बुद्धिजीवियों की टीम की गतिविधियों और उनकी कारगुजारियों को पुस्तक में सलीके से दर्शाया गया है। मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी और हिंदी में अनूदित इस पुस्तक को समग्रता में पढ़ने के बाद आप स्वयं यह तय कर सकते हैं कि भारतीय समाज और मूल संस्कृति के लिए उपरोक्त तत्व किस तरह से खतरा पैदा कर रहे हैं।

पुस्तक : रक्तरंजित भारत : चार आक्रांता, हजार घाव

लेखक : बिनय कुमार सिंह

प्रकाशक : गरुड प्रकाशन, गुरुग्राम

मूल्य : 349 रुपये

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.