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Electoral Reforms Bill: आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने वाला विधेयक लोकसभा में पास, जानें 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक पास हो गया है। विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच लोकसभा ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। बीते हफ्ते कैबिनेट ने विधेयक में संशोधन को अपनी हरी झंडी दी थी। इससे पहले सोमवार को सदन में कई विपक्षी दलों ने विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया। विरोध करने वाले में कांग्रेस, एआईएमआईएम, बसपा जैसे कई दल शामिल रहे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की है। बता दें कि केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में चुनाव संबंधी विधेयक को पेश किया था।

चुनाव कानून संशोधन विधेयक की खास बातें

  1. इस विधेयक के जरिए जन प्रतिनिधि कानून 1950 और जन प्रतिनिधि कानून 1951 में बदलाव किया जाएगा।
  2. फर्जी मतदान और वोटर लिस्ट में दोहराव रोकने के लिए मतदाता कार्ड और लिस्ट को आधार से जोड़ा जाएगा। इस विधेयक के कानून बनते ही चुनाव सुधारों की दिशा यह एक अहम कदम जुड़ जाएगा।
  3. आधार कार्ड को वोटर लिस्ट के साथ जोड़ना अनिवार्य नहीं है। ये स्वैच्छिक है। ये वैकल्पिक है।
  4. वोटर कार्ड के साथ आधार लिंक होने से इससे किसी का पता करने में आसानी होगी। इस तरह फर्जी वोटिंग को रोकने में मदद भी मिलेगी।
  5. अधिनियम (1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) में ‘पत्नी’ शब्द को बदलकर स्पाउस (जीवनसाथी) किया है। साथ ही चुनाव परिसर अधिग्रहण की सीमा का विस्तार करने के दायरे को बढ़ाया है।
  6. आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़े जाने के बाद वोटर केवल एक ही जगह मतदाता सूची में अपना नाम रख सकता है। आधार नंबर के जरिए वोटर कार्ड का दोहराव नहीं हो सकेगा।
  7. नए युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए साल में एक बार एक जनवरी की कट आफ तारीख की बजाय अब साल में चार कटआफ तारीख होंगी। एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर अर्थात इन महीनों के दौरान 18 साल की उम्र पूरा कर रहे युवाओं को वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा।
  8. कांग्रेस ने चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021 बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की है।
  9. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस विधेयक में बहुत सारी कानूनी कमियां हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। ये निजता का उल्लंघन करता है। आरोप है कि इससे लाखों लोगों के चुनावी अधिकार छिन सकते हैं।
  10. एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विधेयक सदन की विधायी क्षमता से बाहर है क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले में निर्धारित कानून की सीमाओं का उल्लंघन करता है। मतदाता पहचान पत्र और आधार को जोड़ने से कानून का उल्लंघन होता है।

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