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सरकार ने विपक्ष पर साधा निशाना, कहा- सदन के साथ-साथ देश का भी किया अपमान

नई दिल्लीः राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन द्वारा आज सदन की रूल बुक को महासचिव की मेज पर फेंके जाने की कड़ी निंदा करते हुए इसे आसन और महासचिव के साथ साथ सदन तथा देश का अपमान करार दिया है।

मंगलवार को सदन में जब निर्वाचन विधि (संशोधन) विधयेक 2021 पारित कराया जा रहा था तो विपक्षी सदस्यों ने विधेयक में संशोधन के प्रस्ताव पर मतविभाजन की मांग की। आसन और विपक्षी सदस्यों के बीच इसे लेकर बहस भी हुई। विपक्षी सदस्यों ने इसे लेकर सदन में हंगामा किया। उनकी मांग नहीं माने जाने से उत्तेजित ब्रायन ने रूल बुक महासचिव की मेज पर फेंक दी और सदन से बाहर चले गये। उनके साथ तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी बहिर्गमन कर गये। इससे पहले कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी सदन से बहिर्गमन किया।

सदन के नेता गोयल ने कहा कि डेरेक सदन में एक दल के नेता हैं और उन्होंने जिस तरह से रूल बुक को फेंका है वह आसन और महासचिव के साथ साथ सदन तथा देश का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि यह आचरण बहुत निंदनीय है और यह चिंता का विषय है कि वह आने वाली पीढियों को क्या संदेश देना चाहते हैं।

गोयल ने कहा कि पिछले सत्र में विपक्ष के अशोभनीय व्यवहार को सबने देखा था और ऐसा लग रहा था कि इस बार विपक्षी सदस्य कुछ मर्यादा में रहेंगे लेकिन आज जो हुआ उसकी अपेक्षा नहीं थी। उन्होंने कहा कि विभिन्न दलों और सदस्यों के बीच विरोध और मतभेद हो सकते हैं लेकिन इस तरह से सदन की मर्यादा और गरिमा को ठेस पहुंचाना उचित नहीं है।

गोयल ने कहा कि जिस विधेयक को लेकर विपक्ष ने इतना हंगामा किया है वह निष्पक्ष चुनाव के लिए मतदाता सूची को पारदर्शी तथा फर्जी मतदाताओं से मुक्त करने के लिए जरूरी है। इससे लोगों के अधिकार सुनिश्चित किये जा रहे हैं और यदि विपक्षी दल इसका विरोध करते हैं तो लगता है कि उनकी नीयत में कुछ खोट है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विधेयक का विरोध करने का मतलब यह है कि विपक्ष चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी की मंशा रखता है और इससे यह भी लगता है कि विपक्ष युवाओं को उनके अधिकारों से वंचित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक स्थायी समिति में विस्तार से चर्चा के बाद तैयार किया गया है।

साल 2010 की घटना को किया याद
वर्ष 2010 में कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए सात विपक्षी सदस्यों के निलंबन के बारे में कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा द्वारा की गयी टिप्पणी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय भी विपक्षी सदस्यों ने अपने आचरण पर खेद व्यक्त किया था और निलंबित सदस्यों में भाजपा का कोई भी सदस्य न होने के बावजूद तत्कालीन नेता विपक्ष अरूण जेटली ने विपक्ष की ओर से माफी मांगी थी जिससे कि देश में अच्छा संदेश जाये। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रकरण में भी निलंबित सदस्यों से इसी तर्ज पर माफी की मांग की जा रही है लेकिन विपक्ष की ओर से सकारात्मक रूख नहीं अपनाया जा रहा।

इससे पहले भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने विभिन्न नियमों का हवाला देते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेता द्वारा सदन में किया गया व्यवहार लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला है। उन्होंने कहा कि सदन की नियमावली में यह स्पष्ट है कि सदस्य सदन में कैसा आचरण करें। सदन में किसी भी व्यवस्था के प्रश्न पर सभापति का निर्णय सर्वमान्य होता है और जब वह बोलते हैं तो सभी को उनकी बात सुननी होती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से सदन में बार बार इस तरह का आचरण किया जा रहा है जो सही नहीं है। यह लोकतंत्र को बंधक बनाने जैसा है जिसे मंजूर नहीं किया जा सकता।

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