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मुंबई पुलिस के समक्ष पेश नहीं हुईं कंगना रनौत, ‘खालिस्तानी आतंकवादी’ वाले बयान पर मिला था समन

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत बुधवार को मुंबई पुलिस के समक्ष पेश नहीं हुईं। रनौत को उस पोस्ट को लेकर यहां उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में पुलिस के समक्ष पेश होना था जिसमें उन्होंने किसानों के आंदोलन को कथित रूप से एक अलगाववादी समूह से जोड़ा था। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। एक सिख संगठन की शिकायत के बाद पिछले महीने खार पुलिस थाने में रनौत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया था। रनौत के वकील ने बम्बई उच्च न्यायालय को बताया था कि वह 22 दिसंबर को खार पुलिस के समक्ष पेश होंगी। बुधवार को उनके वकील ने पेश होने के लिए दूसरी तारीख दिये जाने का अनुरोध किया।

रनौत के वकील रिजवान सिद्दीकी ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के आदेश की भावना, उद्देश्य और मंशा के अनुसार, हमने जांच अधिकारी से एक पहले की तारीख का अनुरोध किया और हम अदालत की अगली सुनवाई से पहले प्रक्रिया में तेजी लाना चाहते थे। जांच अधिकारी हमें समायोजित करने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने न तो मेरे फोन कॉल और न ही संदेशों का ही कोई जवाब दिया, साथ ही उन्होंने उस पत्र का भी कोई जवाब नहीं दिया जो उन्हें आदेश के तुरंत बाद भेजा गया था।” उन्होंने कहा, ‘‘अब मेरी मुवक्किल उपलब्ध किसी अन्य निकट तिथि पर उनके सामने पेश होंगी। यदि अधिकारी हमें समय नहीं देते हैं, तो हम इस मामले को फैसला उच्च न्यायालय पर छोड़ देंगे जो इसके गुण-दोष के आधार निर्णय करेगा।’

मुंबई पुलिस ने इससे पहले बम्बई उच्च न्यायालय को बताया था कि वह 25 जनवरी, 2022 तक रनौत को उनकी सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गिरफ्तार नहीं करेगी, जिसमें किसानों के विरोध प्रदर्शन को कथित तौर पर एक अलगाववादी समूह से जोड़ा गया था। पुलिस का यह बयान तब आया जब उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे में रनौत की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का बड़ा सवाल शामिल है और अदालत को उन्हें कुछ अंतरिम राहत देनी होगी। रनौत ने इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख किया था और अपने खिलाफ खार पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया था। अभिनेत्री के खिलाफ प्राथमिकी एक सिख निकाय के कुछ सदस्यों की शिकायत के बाद दर्ज की गई, जिसमें दावा किया गया है कि रनौत ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट के माध्यम से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को खालिस्तानी आंदोलन के रूप में पेश किया है।

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