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सीएम नीतीश कुमार ने कहा, शराबबंदी समाज के सभी वर्ग के लोगों को फायदा पहुंचा रहा

मोतिहारी। सीएम नीतीश कुमार ने बापू की कर्मभूमि मोतिहारी से समाज सुधार अभियान की शुरुआत की। इस मौके पर जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शराबबंदी ने समाज के सभी वर्ग के लोगों को फायदा पहुंचाया है। अाज घरों में खुशियां लौट आई हैं। उन्होंने इस अभियान के शुरू होने के पीछे की पूरी कहानी साझा की। कहा कि एक महिला के कहने पर ही उन्होंने इतना बड़ा फैसला लिया। शुरू में केके पाठक को इसकी जिम्मेदारी दी गई। बाद में सब इस काम में जुट गए। सीएम ने कहा कि सबको मालूम है जबसे हमें काम करने का मौका मिला है, हमने बिहार के विकास, समाज का विकास व हाशिए पर रह रहे लोगो के विकास के लिए काम किया है। लोग केवल मेरे आने से पहले हालात और आज की स्थिति में तुलना कर लें तो सबकुछ साफ हो जाएगा। विकास के साथ ही समाज में सुधार करना मेरी प्राथमिकता रही है।

जननायक कर्पूरी ठाकुर ने भी शराबबंदी की थी

सीएम ने कहा कि 2011 से ही शराब के खिलाफ अभियान चल रहा है। जननायक कर्पूरी ठाकुर ने 1977 में शराबबंदी की थी, लेकिन बाद में हटा दिया गया। 2015 में एक महिलाओं के सम्मेलन में जाने का मौका मिला। उस कार्यक्रम में महिलाओं ने एक स्वर में सूबे में शराबबंदी की बात उठा दी। उसी समय मैंने घोषणा की थी कि अगली बार अगर सरकार में आए तो शराबबंदी जरूर करेंगे। चुनाव में सफलता मिली तो तत्काल नवंबर में ही बैठक कर शराबबंदी की घोषणा कर दी गई। शुरू में विभाग की जवाबदेही केके पाठक को ही दी गई थी। बाद में कानून बना व सभी दलों ने एक साथ इसके लिए शपथ लिया। 2015 में जब सूबे के अलग-अलग जगहों पर गए तो शिकायत मिलती थी, लेकिन निरंतर अभियान चलता रहा। 21 जनवरी 17 को मानव श्रृंखला में 4 करोड़ लोग शामिल हुए। दारुबन्दी से समाज मे काफी परिवर्तन आया है। खासकर महिलाओं को इसका काफी लाभ मिला है। हर समय व हर काल मे गड़बड़ी करने वाले लोग होते ही हैं।

शराब की दुकानों का हुआ व‍िरोध

नीतीश कुमार ने कहा, 2016 में देसी पूरी तरह से बंद कर दिया गया, लेकिन शहरी इलाकों में विदेशी जारी रखा गया था। शहरी इलाकों के लिए टेंडर भी हो गया था, लेकिन जब शहरों में दुकान खुलने लगी तो लोग शराब दुकानों के विरोध में सड़क पर उतर आए। तब लोगो के विरोध को देखते हुए शहरी क्षेत्र में भी विदेशी शराब बन्द करने का निर्णय ले लिया गया। दारू पसन्द करने वाले मेरे बारे में तरह-तरह की बातें करते हैं। आज ऐसे लोग भारी संख्या में हैं जो पहले शराब के आदि थे, लेकिन आज छोड़ दिया है। जब शराब बंद है तो कुछ लोग चोरी छुपे पी रहे हैं। मर भी रहे हैं। इसमें किसकी गलती है?

पूरी दुनिया में शराब पीने से 30 लाख लोगों की मौत

सीएम ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वेक्षण की चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 2018 में प्रकाशित सर्वे में कहा गया कि शराब पीने के कारण दुनिया भर में ऐसे 30 लाख लोगों की मौत हो जाती है। 20 साल से लेकर 39 साल के 13.5 फीसद उम्र लोगों की मौत शराब के कारण होती है। दुनियाभर में 18 फीसद ऐसे लोग होते हैं जो शराब के नशे में आत्महत्या कर लेते हैं। इसके अलावा 18 फीसद लोग शराब पीने के बाद आपसी झगड़ा करते हैं। दुनियाभर में साल भर के अंदर जितनी सड़क दुर्घटनाएं हुईं उनका 27 फीसद कारण सिर्फ दारू पीकर वाहन चलाना रहा। दुनिया मे लीवर खराब होने के मामले में 47 फीसद ऐसे लोग होते हैं जो शराब के आदि होते हैं।

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