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भाजपा-कैप्टन की नई दोस्ती और आप की बढ़ी चुनौती पंजाब में कांग्रेस की बढ़ा रही सिरदर्दी, जानें क्या है नया समीकरण

नई दिल्ली। अपनी अंदरूनी खींचतान से जूझ रही कांग्रेस के लिए पंजाब में आम आदमी पार्टी की बढ़ती चुनौती के साथ अब भाजपा और पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से बिछाई जा रही चुनावी बिसात नई सिरदर्दी बन रही है। चंडीगढ के निगम चुनाव में आप के चौंकाने वाले प्रदर्शन से अलर्ट हुई कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर बढ़ने लगी है कि कैप्टन अमरिदर और अकाली दल से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले सुखदेव सिंह ढींढसा जैसे नेताओं के साथ गठबंधन के सहारे भाजपा सूबे की हिन्दू बहुल सीटों के सियासी समीकरण को प्रभावित कर सकती है। पंजाब के चुनाव में पार्टी की बढ़ रही इन चुनौतियों को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व ने सूबे में सरकार और संगठन के वरिष्ठ नेताओं को सतर्क करते हुए बेहतर आपसी समन्वय के लिए कहा है।

भाजपा सूबे की हिन्दू बहुल सीटों पर कांग्रेस नुकसान कर आप को पहुंचा सकती है फायदा

पार्टी सूत्रों के अनुसार, पिछले दो-तीन दिनों में भाजपा के शिखर नेतृत्व के साथ कैप्टन अमरिंदर और ढींढसा की हुई बैठक पर निगाह रख रहे कांग्रेस रणनीतिकारों का आकलन है कि भाजपा का पूरा सियासी गेम आम आदमी पार्टी की बजाय कांग्रेस को चुनावी नुकसान पहुंचाने पर ज्यादा केंद्रित दिखाई दे रहा है। सिख बहुल सीटों पर कांग्रेस का मुख्य चुनावी मुकाबला आप के साथ नजर आ रहा है क्योंकि अकाली दल बादल को लेकर भरोसे का संकट कायम है

कांग्रेस को चुनाव में बढ़ रही चुनौती को लेकर किया सतर्क, एकजुटता का दिया संदेश

वहीं सूबे की हिन्दू बहुल सीटों पर भी तमाम सियासी पार्टियों के मौजूदा हालातों के बीच कांग्रेस खुद को बेहतर स्थिति में मान रही है, मगर उसकी आशंका यह है कि कैप्टन और भाजपा की नई दोस्ती इस जमीनी परिस्थिति में बदलाव ला सकती है। क्योंकि कैप्टन और छोटे अकाली समूहों के सहारे भाजपा हिन्दू बहुल सीटों पर अपना आधार फिर से बढ़ाने के लिए जोर लगाएगी तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होगा। पार्टी का अनुमान है कि भाजपा-कैप्टन-ढींढसा का नया गठबंधन भले ही पंजाब के चुनाव में कोई बड़ा कमाल नहीं करेगा, मगर कांग्रेस की चुनावी सिरदर्दी बढ़ाएगा और आम आदमी पार्टी को इसका परोक्ष लाभ मिल सकता है।

भाजपा-कैप्टन गठजोड़ का फायदा आप को मिलने की आशंका

जाहिर तौर पर कांग्रेस की चिंता बढ़ाने वाला है क्योंकि चुनाव में उसकी सत्ता को मुख्य चुनौती अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से ही मिल रही है। चंडीगढ़ के निकाय चुनाव में सीटों के हिसाब से सबसे बड़े दल के रुप में आप के प्रदर्शन से भले ही सीधे तौर पर भाजपा को ज्यादा नुकसान हुआ हो, मगर कांग्रेस इसे पंजाब चुनाव को देखते हुए अपने लिए अधिक चुनौतीपूर्ण आंक रही है। समझा जाता है कि तभी पार्टी रणनीतिकारों ने पंजाब के शीर्ष कांग्रेस नेताओं से इन बढ़ती चुनावी चुनौतियों को देखते हुए छोटे-मोटे विवादों और मतभेदों को किनारे रख एकजुट होकर काम करने की सलाह दी है।

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