चंडीगढ़: एक के बाद एक पंजाब कांग्रेस का दामन छोड़ रहे नेताओं ने पार्टी के भीतर खलबली पैदा कर दी है। कांग्रेस हाईकमान मंथन की मुद्रा में आ गया है तो पंजाब कांग्रेस के स्तर पर नाराज होकर पार्टी छोड़ने वाले मंत्रियों व विधायकों को चिन्हित किया जा रहा है ताकि उनकी नाराजगी दूर की जा सके। इस बीच वरिष्ठ कांग्रेसी सुखजिंद्र राज सिंह लाली मजीठिया ने वीरवार को पनग्रेन के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद उनके बयानों ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। मजीठिया ने कहा कि वह जल्द ही भविष्य की रणनीति का ऐलान करेंगे।
इससे पहले मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी, विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा व विधायक बलविंद्र सिंह लाडी ने कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामते हुए कुछ ऐसी ही बातें दोहराई थीं। इन नेताओं ने पंजाब कांग्रेस के अंदरूनी घमासान को अपने इस्तीफे की मुख्य वजह बताया था। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद हाईकमान को उम्मीद थी कि अब पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पंजाब कांग्रेस के नेताओं की मानें तो पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। एक तरफ पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपने अंदाज में सियासी पिच पर बैटिंग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी व मंत्री अपने अंदाज में ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में पंजाब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सबसे ज्यादा असमंजस मंत्रियों, विधायकों व नेताओं को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट दावेदारी को लेकर है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू तो पहले ही सार्वजनिक तौर पर कई विधायकों व नेताओं के टिकट कटने की बात कह चुके हैं। उस पर हाल ही में स्क्रीनिंग कमेटी के स्तर पर एक परिवार से केवल एक ही टिकट का फार्मूला भी लागू कर दिया गया है। यही वजह है कि पंजाब कांग्रेस के कई नेता विकल्प तलाशने में जुट गए हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस को अलविदा कहने वालों की लंबी फेहरिस्त है और वे मौके का इंतजार कर रहे हैं।
हाईकमान के मंथन से दूर होगा ‘सियासी पतझड़’!
पंजाब कांग्रेस पर छाए ‘सियासी पतझड़’ को दूर करने के लिए कांग्रेस हाईकमान अब आम आदमी पार्टी की तरह टुकड़ों में 2022 के उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकता है। पहले चरण में 3 से 4 दर्जन विधायकों की सूची जारी हो सकती है। ‘आप’ ने पिछले दिनों पार्टी को अलविदा कहने की चली बयार को इसी फार्मूले के तहत कंट्रोल किया था। ‘आप’ ने कुछ विधायकों के पार्टी छोड़ने पर मौजूदा 10 विधायकों की पहली सूची जारी कर दी थी। कांग्रेस भी इसी फार्मूले के तहत मौजूदा विधायकों को उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार सकती है।
एक तरफ कैप्टन तो दूसरी तरफ भाजपा बड़ी चुनौती
पंजाब कांग्रेस अंदरूनी चुनौतियों से तो जूझ ही रही है, सियासी मैदान में भी पार्टी को अपना गढ़ मजबूत करने के लिए घेराबंदी करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इसकी वजह है पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का भाजपा के साथ गठबंधन। कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद भी कैप्टन कांग्रेस के कई मंत्रियों व विधायकों से संपर्क में हैं। कैप्टन ऐलान कर चुके हैं कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद पंजाब कांग्रेस के कई दिग्गज पंजाब लोक कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। उस पर जो नेता पंजाब लोक कांग्रेस के बैनर तले चुनाव नहीं लड़ना चाहते, उनके लिए भाजपा का एक खुला विकल्प भी मौजूद है।
जनवरी के पहले सप्ताह स्क्रीनिंग कमेटी ले सकती है अहम फैसला
नए वर्ष के पहले सप्ताह में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होनी है। इस बैठक में 3 से 4 दर्जन नेताओं की उम्मीदवारी पर फैसला हो सकता है। 29 दिसम्बर को हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में भी नेताओं के छोड़ने का मुद्दा गर्माया रहा। बैठक में वर्तमान विधायकों की उम्मीदवारी पर भी गहन मंथन किया गया। इस बात पर चर्चा हुई कि विधानसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों व संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार की जाए, जिस पर अंतिम फैसला हाईकमान सोनिया गांधी पर छोड़ दिया जाए।
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