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लोक कलाकार को ढोल बजाते देखा तो खुद को रोक नहीं पाए पीएम मोदी, अजमाए हाथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मणिपुर और त्रिपुरा के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान पीएम का एक अलग रुप देखने को मिला। दरअसल,  मोदी के स्वागत के लिए त्रिपुरा के लोक कलाकार मौजूद थे। एक कलाकार ट्रेडिशनल घंटा लेकर खड़ा था, तो मोदी ने इस वाद्य यंत्र पर हाथ आजमाया। आगे बढ़े तो एक कलाकार ढोल बजा रहा था। उसे देखकर मोदी खुद को रोक नहीं पाए और खुद ढोल पर थाप देने लगे। कुछ देर तक ढोल बजाने के बाद मोदी ने कलाकारों को नमस्कार कर विदा ली।

वहीं, पीएम मोदी ने त्रिपुरा की पूर्ववर्ती वामपंथी सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनके पास ना तो विकास की कोई दृष्टि थी और ना ही कोई नीयत जबकि पूर्वोत्तर के इस राज्य में आज एक ऐसी संवेदनशील सरकार है, जिसे विकास के हर क्षेत्र में अग्रणी रहने की आदत बन गई है। प्रधानमंत्री ने यह बात यहां महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे पर निर्मित नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन और त्रिपुरा ग्राम समृद्धि योजना व विद्याज्योति स्कूल परियोजना मिशन 100 की शुरुआत करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का भारत सबको साथ लेकर, सबके विकास और सबके प्रयास से ही आगे बढ़ेगा।

विकास की गाड़ी पर ब्रेक लगा हुआ था
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ राज्य पीछे रहें, कुछ राज्य के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते रहें… यह असंतुलित विकास ठीक नहीं। त्रिपुरा के लोगों ने दशकों तक, यहां यही देखा है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले यहां भ्रष्टाचार की गाड़ी रुकने का नाम नहीं लेती थी और विकास की गाड़ी पर ब्रेक लगा हुआ था। उन्होंने कहा, ‘‘पहले जो सरकार यहां थी उसमें त्रिपुरा के विकास का ना विजन (दृष्टिकोण) था और ना ही उसकी नीयत थी। गरीबी और पिछड़ेपन को त्रिपुरा के भाग्य के साथ चिपका दिया गया था।” मोदी ने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए ही उन्होंने त्रिपुरा के लोगों को एचआईआरए यानी हीरा का आश्वासन दिया था।

इसमें एच का मतलब हाइवे (राजमार्ग), आई का इंटरनेट-वे, आर का रेलवे और ए का एयर-वे (वायुमार्ग) है। उन्होंने कहा, ‘‘आज हीरा मॉडल पर त्रिपुरा अपना संपर्क सुधार रहा है और उसे आगे बढ़ा रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि त्रिपुरा में आधुनिक संसाधनों के विकास पर जितना निवेश आज हो रहा है उतना कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा का तेज गति से विकास इसलिए संभव हो सका क्योंकि वहां ‘‘डबल इंजन” की सरकार है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य में जब विकास को सर्वोपरि रखने वाली है सरकार होती है तो दोगुनी तेजी से काम भी होता है। इसलिए डबल इंजन की सरकार का कोई मुकाबला ही नहीं है।

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