इंदौर। प्रशासन की ओर से सभी उद्योग संचालकों को दूषित जल उपचारित करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पैमानों पर खरा उतरने के लिए सभी व्यवस्थाएं जुटाने के लिए एक महीने की मोहलत दी गई है। कलेक्टर और निगमायुक्त ने गुरुवार को कहा कि इस अवधि के बाद कड़ी कार्रवाई होगी। उद्योगपतियों ने भी शपथ ली कि वे दूषित जल से शिप्रा नदी को प्रदूषित नहीं करेंगे।
एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रिज मप्र (एआइएमपी) द्वारा शिप्रा को प्रदूषण से बचाने और उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण के पैमानों के अनुसार बनाने के लिए प्रेस्टिज कालेज में एक कार्यशाला का आयोजन किया था। कार्यशाला में कलेक्टर मनीष सिंह, निगमायुक्त प्रतिभा पाल और एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया, उपाध्यक्ष योगेश मेहता के साथ तमाम उद्योगपति मौजूद थे। बीते दिनों से उद्योग लगातार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्रक्रिया में देरी और सुस्ती को लेकर शिकायत भी कर रहे थे। कार्यशाला में बताया गया कि प्रदूषण नियंत्रण की एनओसी के लिए आनलाइन प्रक्रिया की जा सकती है।
कलेक्टर ने कहा कि एआइएमपी के सहयोग से शीघ्र इस प्रक्रिया को निपटाया जाएगा। इसके लिए एआइएमपी दफ्तर में एक हेल्प डेस्क बनाई जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों की तैनाती के साथ अपशिष्ट निपटान से संबंधित जानकारी के लिए एक अधिकारी भी तैनात किए गए। उद्योगों के साथ कलेक्टर ने अधिकारी के नंबर साझा करते हुए कहा कि प्रक्रिया और अपशिष्ट प्रबंध की तकनीकि जानकारी के लिए इनसे संपर्क करें। कार्यशाला में नगर निगम आयुक्त पाल ने कहा कि शहर में सीवरेज तथा औद्योगिक इकाइयों के उपचारित जल के लिए बनाए गए प्लांट्स की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में सीटीईपी प्लांट बनाया गया है। इसमें औद्योगिक इकाइयों के उपचारित जल का संग्रह होता है। इस प्लांट तक उपचारित जल पहुंचाने के लिए पाइप लाइन का विस्तार किया जा रहा है। 14 किलोमीटर और नई लाइन बिछाई जाएगी। उन्होंने बताया कि नदी-नालों में दूषित जल छोड़ने वाली इकाइयों का लगातार सर्वे कराया जा रहा है। कलेक्टर सिंह ने कहा कि यह हमारा परम कर्तव्य है कि हम मां शिप्रा के जल को पूरी तरह से पवित्र और शुद्ध बनाये रखें। इसके लिए जरूरी है कि नियमानुसार ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जाए। इस ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले जल को सीटीईपी में प्रवाहित करने की व्यवस्था करें।
जिन औद्योगिक क्षेत्रों में इस प्लांट तक जल पहुंचाने के लिए लाइन है, वह लाइन के माध्यम से तथा जिन औद्योगिक क्षेत्रों में लाइन नही है वे टैंकरों के माध्यम से इस प्लांट तक उपचारित जल पहुंचाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद डाफरिया ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम, निर्देशों और मापदण्डों की जानकारी के अभाव में कुछ उद्योगों औपचारिकता पूरी नहीं कर सके। अब हमने संकल्प लिया है कि एक माह के भीतर सभी औद्योगिक इकाइयों में दूषित जल को उपचारित करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जाएगी।
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