पटना। राजद के बयान के कारण बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच शनिवार को जदयू संसदीय दल के नेता उपेंद्र कुशवाहा से राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर हालांकि उन्होंने निजी संबंध का हवाला दिया लेकिन इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। तिवारी ने यह भी कहा कि जब दो दलों के लोग मिलते हैं तो बातचीत होना स्वाभाविक ही है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि आरजेडी की ओर से जदयू को कोई आफर नहीं दिया गया। बस ये कहा कि भाजपा उनके फैसले में बाधक बनी हुई है तो ऐसे में बिहार की 12 करोड़ जनता के हित के लिए निडर होकर फैसला लेने की बात कही। लेकिन नीतीश जी के पास वह कलेजा नहीं है कि बीजेपी से अलग होकर फैसला ले सकें।
कुशवाहा जी को धन्यवाद देने आए थे
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक मुलाकात नहीं। उनके निजी संबंध हैं। कुछ खिलाड़ियों की समस्या थी। एयरपोर्ट से घर जा रहे थे। इत्तेफाक कहिए कि रास्ते में उनका घर पड़ता है। यह बात है कि राजनेता मिलेंगे तो राजनीतिक बातें होंगी ही लेकिन वे अधिकारिक रूप से पाार्टी का कोई संदेश लेकर नहीं आए थे। लेकिन जिस तरह से विशेष राज्य और जातीय जनगणना के मुद्दे पर कुशवाहा ने अपना स्टैंड क्लियर किया है इसके लिए उनकाे धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि समझ लीजिए उनका अभिनंदन करने हम आए। तेजस्वी यादव का स्पष्ट संदेश है कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर जो भी साथ आना चाहेंगे, उनका स्वागत करेंगे। भाजपा में भी इस मुद्दे पर कई गुट बन गए हैं। वे लोग समर्थन कर रहे हैं। दानिश रिजवान के बयान पर उन्होंने कहा कि वे लोग क्या बोलेंगे, उनका कोई ठिकाना है, क्या बोल देंगे।
बहरहाल इस मुलाकात के क्या सियासी मायने हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इसे महज इत्तफाक नहीं माना जा सकता कि धुर विरोधी दलोंं के नेताओं की ऐसे मुलाकात हो।
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