जहानाबाद में बरकतों का महीना है माहे रमजान
जहानाबाद। माहे रमजान का पहला रोजा रखना हमारे लिए एक नया मुकाम है जो हमें रोज़ाना बेहतर बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। इस अवसर पर हम सब ने दुआओं के साथ अल्लाह से अपने गुनाहों के माफ़ी मांगी और उसके दिए हुए इस मुकाम को समझने की दुआ की। हम इस महीने में अपनी इबादत को मजबूत करने के लिए एक-दूसरे की मदद करेंगे और अल्लाह की मोहब्बत को बढ़ावा देंगे। हम यह भी समझते हैं कि माहे रमजान सिर्फ खाने पीने से रोकने के लिए नहीं है। यह एक अवसर है। जब हम अपनी नफ़सियात को नियंत्रित करने और अपनी रूह को शुद्ध करने के लिए है। इस रमज़ान के महीने के दौरान, रोज़ेदार सुबह से सुन्नत इबादत और फज़र की नमाज़ के बाद मग़रिब के वक़्त इफ्तारी किया जाता है। रोज़ेदारों को दिन भर भूख और प्यास का सामना करना पड़ता है इसके साथ मस्जिदों में नमाज़ पढ़ी जाती है। इस महीने के दौरान, जहानाबाद में कई मुस्लिम समुदायों द्वारा रोज़ेदारों के लिए सेहरी और इफ्तार की व्यवस्था की जाती है। इन समुदायों में शामिल होने से लोग रोज़ादारों के लिए भोजन की व्यवस्था करने में मदद करते हैं और सामाजिक संबंधों को मजबूत करते हैं।