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बेला एस्टेट के निवासियों की याचिका खारिज, अदालत ने कहा- स्लम निवासी पुनर्वास की राहत के हकदार नहीं

दिल्ली| दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को यमुना के डूब क्षेत्र में स्थित बेला एस्टेट के झुग्गी निवासियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बेदखली नोटिस के बाद उनके पुनर्वास की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति गौरांग कंठ ने कहा कि याचिकाकर्ता बेला एस्टेट मजदूर बस्ती समिति ने न तो इस तथ्य को साबित किया है कि ये झुग्गी-झोपड़ी (जेजे) क्लस्टर दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) द्वारा अधिसूचित किए गए है और न ही यह साबित कर सके कि झुग्गियों का निर्माण एक जनवरी, 2015 से पहले किया गया था।

इस वजह से स्लम निवासी डीयूएसआईबी की दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और पुनर्वास नीति, 2015 के अनुसार पुनर्वास की राहत के हकदार नहीं हैं। उनकी वर्तमान रिट याचिका खारिज की जाती है। अदालत ने यह आदेश यहां बेला एस्टेट के निवासियों को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी बेदखली नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला करते हुए दिया। अदालत ने अवैध अतिक्रमण हटाने और प्राधिकरण की जमीन खाली करने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता ने निवासियों को बेदखल करने पर रोक लगाने की भी मांग की और कहा कि अगर उन्हें बेदखल किया जाता है तो उन्हें डीयूएसआईबी द्वारा पुनर्वास के लिए वैकल्पिक आवास प्रदान किया जाए। अदालत ने कहा कि यह याचिकाकर्ता का मामला नहीं है कि बेला एस्टेट में जेजे क्लस्टर डीयूएसआईबी द्वारा अधिसूचित हैं और हालांकि यह माना गया है कि बेला एस्टेट 70 से अधिक वर्षों से अस्तित्व में है, लेकिन समर्थन के लिए रिकॉर्ड पर कोई दस्तावेजी सबूत नहीं रखा गया है।

अलीपुर क्षेत्र में यमुना नदी में अवैध खनन पर हाईकोर्ट सख्त

हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अलीपुर क्षेत्र में यमुना नदी में अवैध रेत खनन की निगरानी करने एवं उसपर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश (यूपी) पुलिस के साथ एक संयुक्त कार्य बल(ज्वाइंट टॉस्क फोर्स) गठित करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति प्रतिबा मनिंदर सिंह ने नदी में बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन पर चिंता व्यक्त करते हुए आगे की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। अदालत ने संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को एसएसपी गाजियाबाद के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया।

साथ ही कहा कि संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) नियमित रूप से यमुना बैंक की निगरानी करेगा और अवैध रेत खनन को रोकना सुनिश्चित करेगा और रोकने के लिए धेरा भी लगाया जाए। इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाए कि अवैध रेत खनन में डंपर और मिट्टी उत्खनन करने वाले शामिल हो रहे हैं। अदालत ने अवैध बालू खनन से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई। साथ ही डीएम गाजियाबाद और एक सुरक्षा एजेंसी के बीच उत्खनन और जेसीबी मशीनों की अनुमति देने वाली डील पर भी ध्यान दिया। कोर्ट ने अपने आदेश की प्रति एसएसपी गाजियाबाद को सूचनार्थ भेजने का निर्देश दिया।

 

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