यौन हिंसा पीड़ित की एमएलसी जांच में देरी पर आयोग सख्त, दिल्ली सरकार को लिखी चिट्ठी
दिल्ली| दिल्ली महिला आयोग ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों में यौन हिंसा की पीड़ितों की एमएलसी जांच कराने हो रही देरी पर सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर जांच में तेजी लाने की सिफारिश की है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को 30 दिनों के भीतर मामले में कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा गया है।
एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार, दिल्ली सबसे असुरक्षित महानगरीय शहर है। राजधानी में रोजाना करीब छह रेप की घटनाएं हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर पीड़ितों की मदद के लिए सरकारी अस्पतालों में बने वन स्टॉप सेंटर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इसे लेकर आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सिफारिश की है। इससे पहले इसी मामले में दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
इस प्रक्रिया में गंभीर कमियों की पहचान की गई। यह देखा गया कि गुरु गोबिंद सिंह, स्वामी दयानंद और हेडगेवार सहित अन्य अस्पतालों में वन स्टॉप सेंटर नहीं है। आयोग ने सिफारिश की है कि प्रत्येक अस्पताल में तत्काल वन स्टॉप सेंटर स्थापित किया जाए।
यह मिला कारण
जांच में पता चला कि अरुणा आसफ अली अस्पताल में यूपीटी परीक्षण वन स्टॉप सेंटर के अंदर नहीं बल्कि अस्पताल के एक अलग तल या विंग में किया जा रहा है। जबकि कलावती अस्पताल यूपीटी परीक्षण किटों को संग्रहीत नहीं करता है। परिणामस्वरूप पीड़िता को यूपीटी परीक्षण के लिए लेडी हार्डिंग अस्पताल (जो एक किलोमीटर दूर है) जाने के लिए मजबूर किया जाता है और फिर एमएलसी के लिए कलावती के पास वापस जाना पड़ता है।
बिना देरी मिले इलाज
आयोग ने सिफारिश की है कि पीड़िताओं को आपातकालीन कक्ष में प्रतीक्षा किए बिना सीधे वन स्टॉप सेंटर से संपर्क करने की अनुमति दी जानी चाहिए। वन स्टॉप सेंटर में शौचालय साथ में होने चाहिए और यूपीटी परीक्षणों में देरी को कम करने के लिए पीने का पानी होना चाहिए। बलात्कार पीड़ितों को स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा बिना किसी देरी के इलाज किया जाए। वरिष्ठ स्टाफ एमएलसी प्रक्रिया के दौरान सैंपल को ओएससी के अंदर ही सील करें और डॉक्टरों को दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दें।
यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं को इन प्रक्रियाओं के कारण काफी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यह बिलकुल भी स्वीकार नहीं किया जायेगा कि उन्हें अपनी एमएलसी कराने के लिए छह घंटे से अधिक इंतजार करना पड़ता है। इस संबंध में सरकार को समग्र सिफारिशें दी हैं।
स्वाति मालीवाल, अध्यक्ष, दिल्ली महिला आयोग
इन पांच जगहों पर होती है देरी
आपातकालीन कक्ष में
पीड़िता का यूपीटी परीक्षण करते समय
स्त्री रोग विशेषज्ञ की प्रतीक्षा करते समय
नमूनों को सील करते समय
दस्तावेजीकरण प्रक्रिया के दौरान
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.