जमा कराए जाएंगे फैकल्टी के मूल दस्तावेज, आधार केवाइसी अनिवार्य होगा
भोपाल । नर्सिंग कालेजों की गड़बड़ी रोकने के लिए सरकार आगामी सत्र से पुख्ता व्यवस्था करने की तैयारी में है। एक फैकल्टी का नाम एक ही समय में कई कालेजों में दर्ज न हो इसके लिए उनके मूल दस्तावेज जमा कराने की तैयारी है। यह दस्तावेज मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल (एमपीएनआरसी) या फिर उस क्षेत्र के सरकारी सरकारी नर्सिंग कालेज में जमा कराए जाएंगे। इसके अलावा आधार केवाइसी अनिवार्य किया जाएगा। एमपीएनआरसी और चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों ने कालेजों को मान्यता देने में नियमों की अनदेखी की। इस कारण बिना मापदंड कालेज चलते रहे। हाई कोर्ट के निर्देश और अन्य शिकायतों के चलते दो सौ कालेजों की मान्यता बीते तीन साल में निरस्त की गई है। सीबीआइ की जांच में सामने आया है कि वर्तमान में संचालित कुछ कालेज भी तय मापदंड के अनुसार नहीं चल रहे हैं। इसके अलावा नर्सिंग काउंसिल में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार समेत 35 से ज्यादा पद सृजित किए जाएंगे। रजिस्ट्रार के नीचे दो डिप्टी रजिस्ट्रार और वित्त अधिकारी होंगे। अभी ज्यादातर कर्मचारी आउटसोर्स पर हैं जिससे गोपनीय जानकारी बाहर जाने का खतरा रहता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सिर्फ मान्यता के वक्त ही की नहीं, बल्कि सत्र के बीच में भी कालेजों का निरीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा कालेज संचालन के लैब व अन्य जगह के लिए मापदंड के अनुसार खरीदे गए उपकरण व अन्य सामान की रसीद मांगी जाएगी।
आधार केवाइसी से यह होगा लाभ
इसका लाभ यह होगा कि फैकल्टी जैसे ही दूसरे कालेज में कोई अपना केवाइसी कराएगा तो साफ्टवेयर बता देगा कि वह पहले से किस कालेज में पंजीकृत है। एमपीएनआरसी की कार्यपरिषद की बैठक में पहले ही इसे लागू करने का निर्णय हो चुका है, पर अनिवार्य नहीं किए जाने से डुप्लीकेट फैकल्टी पकड़े नहीं जा सके। बता दें कि ला स्टूडेंट एसोसिएशन द्वारा हाई कोर्ट में दायर याचिका पर एमपीएनआरसी द्वारा दी गई जानकारी में अकेले इस वर्ष 64 कालेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी मिले हैं। कुछ का नाम तो 10 से ज्यादा कालेजों में था।
इनका कहना है
नर्सिंग काउंसिल के काम को सुचारू करने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार, वित्त अधिकारी समेत कई महत्वपूर्ण पद सृजित किए जाएंगे। इससे यहां के कार्यों में तेजी आएगी। तकनीकों का उपयोग भी प्रभावी तरीके से किया जाएगा, जिससे पूरी पारदर्शिता रहे।
विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री।
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