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मालगाड़ी के नीचे से गुजरने लगी लड़की, ट्रेन चली तो बचाने के लिए ट्रैक पर लेट गए, ऊपर से गुजरे 26 डिब्बे

भोपाल   के बरखेड़ी इलाके में खुद की जान जोखिम में डालकर कारपेंटर ने लड़की की जान बचा ली। दरअसल, लड़की रेलवे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी के नीचे से ट्रैक पार कर रही थी। इसी बीच मालगाड़ी चल दी। लड़की मदद के लिए चीखने लगी। लड़की को फंसा हुआ देख मौके पर मौजूद कारपेंटर महबूब अपनी जान की परवाह किए बगैर उसे बचाने ट्रैक के नीचे घुस गए। वह लड़की को लेकर पटरियों पर लेट गया। इसके बाद दोनों के ऊपर से ट्रेन के 26 डिब्बे गुजर गए। दोनों सुरक्षित हैं। घटना 5 फरवरी की है।

मेरा नाम मोहम्मद महबूब है। मेरी उम्र 36 साल है। मैं अशोक बिहार बैंक कॉलोनी में रहता हूं। फर्नीचर बनाने का काम करता हूं। 5 फरवरी को रात करीब 8 बजे रहे होंगे। मैं सोनिया कॉलोनी से नामाज पढ़कर बरखेड़ी रेलवे फाटक होते हुए मैं अपने कारखाना की तरफ जा रहा था। तभी बरखेड़ी रेलवे फाटक के एक मालगाड़ी आकर रुकी। लोग ट्रेन के नीचे से घुसकर ट्रैक पार करने लगे। इसी बीच ट्रेन चल दी। तभी ट्रेन के नीचे से ट्रैक पार कर रही 18-20 साल की एक लड़की फंस गई। वह चीख-पुकार करने लगी। लड़की को फंसा देख मैं तुरंत ही ट्रेन की तरफ आया।

ट्रेन धीमे-धीमे चल रही थी। मैं अपनी जान की परवाह किए बगैर लड़की को ट्रैक के नीचे घुस गया। लड़की को लेकर पटरियों में लेट गया। हम दोनों के ऊपर से ट्रेन के 26 डिब्बे गुजर गए। ईश्वर की दुआ से हम दोनों सलामत बच गए। फिर लड़की अपने घर चली गई। शुक्रवार को महबूब को स्वयंसेवी संस्था चलाने वाले शोएब हाशमी ने सम्मान किया। महबूब के पास मोबाइल नहीं था। शोएब ने उन्हें नया मोबाइल खरीदकर गिफ्ट किया। बताया गया कि लड़की के पिता मंडीदीप-भोपाल के बीच चलने वाली बस चलाते हैं।

लड़की रोते हुए चली गई, शुक्रिया तक नहीं कहा…

ट्रेन के निकलने के बाद लड़की ट्रैक से उठकर अपने परिजन (पुरुष) के गले लगाकर रोने लगी। वह रोते-रोते ही चली गई। उसने मुझे शुक्रिया तक नहीं कहा..। हालांकि मैंने उस लड़की को लेकर कोई नाराजगी नहीं है। मेरे अंदर उस वक्त यही था कि मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करना चाहिए। मैंने वही किया जो मेरा दिल कह रहा था।

30 सेकंड और देर होती तो…

महबूब बताते हैं कि 30 सेकंड में यदि लड़की की मैं मदद नहीं करता तो उसकी जान जा सकती थी। हालांकि उसकी चीख सुनते ही लोग उसे बोल रहे थे कि ट्रैक में लेट जाओ। वह लेटती इससे पहले मैं ट्रैक में पहुंच गया। इसके बाद ट्रेन की गति बढ़ गई। ट्रैक में पड़े रहने के दौरान हमें सिर्फ इतना ही डर लग रहा था कि कहीं डिब्बों के नट-बोल्ट शरीर में नहीं लग जाएं।

पत्नी बोली अच्छा किया…

देर रात हम घर पहुंचे। हमने पत्नी को वाक्या सुनाया। उसने कहा कि बहुत अच्छा काम किए। लोगों की मदद का परिणाम ईश्वर देगा। हम मीडिया के सामने नहीं आना चाहते थे। इसलिए घटना के बारे में किसी को नहीं पता चल सका। हमें यह भी नहीं पता कि वीडियो किसने बनाकर वायरल किया। हमारे पास उसदिन मोबाइल भी नहीं था।

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