ब्रेकिंग
जम्मू-कश्मीर को पहला हिंदू मुख्यमंत्री देने की तैयारी, इस फॉर्मूले से बनेगी BJP सरकार? पूनम से मेरा संबंध नहीं था… अमेठी के दलित परिवार को गोलियों से भूनने वाले चंदन ने खोला मुंह, बच्चों ... बॉयफ्रेंड को पेड़ से बांधा, फिर बारी-बारी 21 साल की लड़की से किया रेप, पुलिस कर रही रेपिस्ट की तलाश बंद रहेगी Metro!, Yellow Line को लेकर डीएमआरसी ने जारी की एडवाइजरी राहुल गांधी की बढ़ी मुश्किलें, Veer Savarkar को लेकर विवादित बयान में पुणे कोर्ट ने भेजा समन कांग्रेस युवाओं को ड्रग्स की अंधेरी दुनिया में ले जाना चाहती है… अमित शाह का बड़ा हमला समुद्री डकैती की घटनाएं फिर बढ़ा सकती हैं दुनिया की टेंशन, इटली की नेवी का दावा, वजह भी बताई हिमाचल: टॉयलेट सीट पर टैक्स नहीं ले रही सरकार, CM सुक्खू ने कहा- ‘झूठ परोसती है BJP’ महाराष्ट्र में अजित पवार को झटका! विधायक बबनराव शिंदे ने की बगावत, शरद पवार की पार्टी में होंगे शामि... हरियाणा के युवा बीजेपी को सबक सिखाएंगे… वोटिंग से एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का ...

मानसून से पूर्व नाला नहीं सरकारी खजाना साफ कर रहे नगर निगम के अधिकारी

भोपाल। नगर निगम के अधिकारियों ने बीते पांच वर्षों में नालों के निर्माण, मरम्मत और सफाई के नाम पर सरकारी खजाने से 500 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। फिर भी शहर की 200 से अधिक कालोनियों के रहवासियों को जलभराव से मुक्ति नहीं मिली। जबकि वर्षाकाल में नालों और ड्रेनेज सिस्टम के नाम पर हर वर्ष 90 से 100 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में भी जलभराव वाले स्थानों पर नालों और ड्रेनेज सिस्टम के निर्माण के लिए 90 करोड़ रुपये से अधिक की राशि नगर निगम को मिली है। इसके बावजूद शहर में अधिकतर नाले कच्चे, क्षतिग्रस्त हैं और गंदगी से भरे पड़े हैं।

वर्षाकाल में कालोनियों को जलभराव से बचाने के लिए नगर निगम जोन स्तर पर तैयारियां करता है। इसके लिए प्रत्येक जोन में नाला गैंग होती है, जो वर्षा पूर्व नालों के गहरीकरण और नालों की सफाई करता है। 15 मार्च से 15 जून के बीच अभियान चलाकर नालों की सफाई की जाती है। लेकिन पूरे तीन महीने बीतने के बाद शहर में कहीं भी नाला गैंग सफाई करती नहीं दिखी। नतीजतन, शहर के 600 से अधिक नाले पालीथिन और मिट्टी से चोक हो गए हैं। इधर नरेला और मध्य विधानसभा क्षेत्र में आधा दर्जन स्थानों पर कच्चे नालों की रिटेनिंग वाल बनाई जा रही है, लेकिन इसका काम भी मई के बाद शुरु हुआ है। ऐसे में वर्षा से पहले इनका निर्माण हो पाना संभव नहीं है।

नालों की वजह से पिछले वर्ष रैकिंग रही कमजोर

बता दें कि नालों की सफाई नहीं होने से निचली बस्तियों में जलभराव के साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण की रैकिंग पर भी असर पड़ता है। पिछले वर्ष नगर निगम के अधिकारियों ने स्वच्छता पोर्टल पर जो दस्तावेज अपलोड किए, उसके अनुसार 80 फीसदी नालों की सफाई कराई गई थी। नालों से अतिक्रमण हटाने का दावा भी किया गया था। लेकिन, जब सर्वे की टीम धरातल पर उतरी तो हकीकत दावों से अलग थी। नतीजा, नाला सफाई मामले में भोपाल को 75 फीसदी अंक ही मिले। इसकी वजह से ही भोपाल स्‍वच्‍छता के मामले में छठवें नंबर पर रहा।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.