मील का पत्थर है अमेरिका से ड्रोन सौदा जनरल जीडी बख्शी बोले हाफिज व दाउद में होना चाहिए खौफ
बीते सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ कई अहम समझौते किए, जो भारत के लिए भविष्य में काफी फायदेमंद हो सकते हैं। अमेरिकी यात्रा के दौरान पीएम मोदी की कई द्विपक्षीय बैठकें, योग दिवस समारोह, अमेरिकी कांग्रेस संबोधन समेत कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम थी। अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर दैनिक जागरण ने मेजर जनरल (रिटायर) जीडी बख्शी का इंटरव्यू किया। इस इंटरव्यू में रिटायर्ड जनरल जीडी बख्शी ने प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के महत्व पर विस्तार से बात की।
चीन की नौसैनिक ताकत
भारत-अमेरिका में 3 अरब डॉलर का सौदा
भारत और अमेरिका ने 31 ‘हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस’ (HALE) ड्रोन के लिए 3 अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के तहत भारतीय नौसेना को 15 ‘सी गार्जियन’ ड्रोन मिलेंगे, वहीं थल सेना और वायुसेना को 8-8 ‘स्काई गार्जियन’ उपलब्ध कराए जाएंगे।
दाऊद और हाफिज सईद में होना चाहिए खौफ
मील का पत्थर साबित होगी पीएम मोदी की यात्रा
जीडी बख्शी के मुताबिक PM मोदी की अमेरिकी यात्रा मील का पत्थर साबित हुई है। न्यूयॉर्क में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने खुद इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर योग किया और 140 देशों के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया, ये एक बड़ी बात है।
अमेरिकी दौरे के दो बड़ी उपलब्धियां
जीडी बख्शी ने कहा कि पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान जीई और एचएएल के बीच एफ 414 लड़ाकू जेट इंजन सौदे को सबसे बड़ी उपलब्धि बताई। साथ ही उन्होंने प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी और सभी विदेशी शिपिंग की निगरानी करने के लिए नौसेना के लिए 15 सी गार्जियन की खरीदारी कर रहा है और यह ड्रोन रणनीतिक टोही के साथ-साथ स्ट्राइक मिशन को भी अंजाम देने में भी माहिर है। यह जहाजों और पनडुब्बियों को तबाह कर सकता है।
सेमीकंडक्टर विनिर्माण समझौता
जीडी बख्शी ने भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण के बारे में बात करते हुए कहा कि रणनीतिक दृष्टि से चिप्स के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह AI और सूचना प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण घटक हैं। भारत के युवाओं में असाधारण क्षमताएं हैं, यही कारण है कि भारत ने सॉफ्टवेयर स्किल्स में शानदार प्रदर्शन किया है। भारत ने पहले घरेलू चिप निर्माण के महत्व को नजरअंदाज कर दिया था। ताइवान, दक्षिण कोरियाई और चीन ने काफी तेजी से काम किया। इस बात लेकर अमेरिका भी चिंतित हैं और अपनी आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव करना चाहता है। यही कारण है कि भारत एक संभावित उत्पादन केंद्र के रूप में उभरा है। अमेरिकी चिप कंपनी माइक्रोन ने गुजरात में एक प्रमुख चिप विनिर्माण और परीक्षण सुविधा स्थापित करने के लिए भारत 2.7 अरब डॉलर निवेश करने पर सहमति जताई है।
जीडी बख्शी ने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के लिए भारत सरकार की पहल पर बात करते हुए कहा कि ICT पहल के ढांचे के भीतर, अमेरिका क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई, रक्षा रोबोटिक्स, 5जी और 6जी जैसी दूरसंचार में प्रगति जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल करते हुए सहयोगात्मक अनुसंधान और विनिर्माण उद्यमों में संलग्न होगा।
उन्होंने बीते दिनों को याद करते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका ने भारत पर परमाणु परीक्षण के बाद प्रौद्योगिकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को प्रतिबंधित सूची में शामिल कर दिया गया, जिससे सभी समझौते निलंबित हो गए। यही कारण है कि तेजस विमान जैसी परियोजनाओं में काफी देरी हुई।
हालांकि अमेरिकी ने जो प्रतिबंध लगा दिए थे, उन्होंने हमें आत्मनिर्भर होने के लिए मजबूर कर दिया। जीडी बख्शी ने कहा कि वर्तमान में जहाजों के मामले में चीनी नौसेना ने अमेरिकी नौसेना को पछाड़ दिया है। चीन के पास लगभग 350 जहाजों, 3 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं, वहीं भारत के पास 2 एयरक्राफ्ट कैरियर ही हैं और तीसरे कैरियर पर काम चल रहा है।
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