जिला अस्पताल में मरीजों को पॉलीथीन में दिया खाना सिविल सर्जन बोले- थाली का उपयोग होना चाहिए
भिंड। जिला अस्पताल में मरीजों को प्रतिदिन खाना दिया जाता है। प्रबंधन उन्हें थाली में खाना नहीं दे रहा है। ऐसे में मरीज और स्वजन खाना पॉलीथीन या घर से लाए बर्तनों में लेने को मजबूर हैं। उच्चम न्यायालय ने सरकारी संस्थाओं में खाने-पीने की सामग्री को पॉलीथिन में देना पूरी तरह से प्रतिबंध कर दिया है। प्रबंधन ने मरीजों को खाना खिलाने के लिए स्टील की थालियां भी मंगवा रखी हैं, लेकिन यह किचन और वार्ड में सजाकर रखी हुई हैं।
अस्पताल में शहर सहित दूर-दूर से लोग इलाज कराने के लिए आते हैं, ऐसे में वह खाना-पीने की व्यवस्था नहीं रहती है। सरकार अस्पताल में भर्ती मरीजों को पौष्टिक खाना भी मुहैया कराती है, इसके लिए एक अलग किचन भी चलती है। जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को अलग-अलग मैन्यू के हिसाब से नाश्ता और खाना दिया जाता है।
सुबह 8 बजे मेटरनिटी वार्ड में प्रसूताओं को लड्डू, एसएनसीयू और एनआरसी में चाय और बिस्कुट देते हैं। सुबह 9 से 10 के बीच आम मरीजों को दूध-दलिया और मेटरनिटी व एनआरसी में केला बांटते हैं। 11.30 बजे से खाना बंटना शुरू हो जाता है। इसमें मिक्स दाल, आलू-टमाटर की सब्जी, चावल, रोटी और प्याज मिलती है। शाम को चाय और बिस्कुट और रात में दाल, सब्जी और रोटी मिलती है।
250 से 300 मरीजों का बनता है खाना
जिला अस्पताल में मेटरनिटी, एसएनसीयू, मदरवार्ड, एनआरसी, शिशु वार्ड, सर्जीकल पुरुष वार्ड, सर्जीकल महिला वार्ड, बर्न यूनिट, पुरुष वार्ड, महिला मेडिकल वार्ड, पुरुष मेडिकल आदि वार्ड हैं। इन वार्डों में प्रतिदिन 250 से लेकर 300 मरीज भर्ती रहते हैं। प्रबंधन मरीज के साथ एक अटेंडेंट को भी खाना देता है। जिला अस्पताल की रसोई में रोजाना 250 से लेकर 300 मरीजों के लिए खाना बनता है। है।
थाली किचन में सजाई, पॉलीथिन में दे रहे खाना
जिला अस्पताल में मरीजों को खाना खिलाने के लिए प्रबंधन ने स्टील की करीब 400 थाली मंगवाई हैं, इसमें 40 थाली प्रति वार्ड में प्रबंधन ने रखवाई हैं। इसके अलावा किचन में अलग से थाली रखी हुई हैं। खाना बांटने वाले कर्मचारी मरीज और अटेंडेंटों को खाना थाली में नहीं देते हैं, बल्कि पॉलीथिन में देते हैं। ऐसे में मरीजों मजबूरी में पॉलीथिन और घर से लाए बर्तन में लेते हैं।
अस्पताल में मरीजों को खाना देने के लिए थाली हैं। कर्मचारी ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो मैं खुद चेक करूंगा। मरीजों को खाना थाली में खाना देने के लिए कहूंगा। डा. अनिल गोयल, सिविल सर्जन जिला अस्पताल भिंड
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