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पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश से दिल्लीवासियों को फिर सता रहा बाढ़ का डर, दिल्ली सरकार बोली- रख रहे स्थिति पर नजर

नई दिल्लीः यमुना के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश से दिल्ली में नदी का जल स्तर बढ़ जाएगा, लेकिन इससे गंभीर स्थिति उत्पन्न होने की आशंका नहीं है। अधिकारियों ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की वेबसाइट के अनुसार, पुराने रेलवे ब्रिज (ओआरबी) पर नदी का जल स्तर दोपहर 3 बजे 203.48 मीटर था और यह बढ़ रहा है। हरियाणा के यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज पर प्रवाह दर सुबह नौ बजे बढ़कर 75,000 क्यूसेक हो गई, जो 26 जुलाई के बाद सबसे अधिक है। सीडब्ल्यूसी के पांच दिवसीय बाढ़ पूर्वानुमान से पता चलता है कि बुधवार को जल स्तर 204.5 मीटर के चेतावनी स्तर को छू सकता है।

दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। जल स्तर बढ़ सकता है, लेकिन गंभीर स्थिति की आशंका नहीं है।” उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश ने सोमवार को तबाही मचाई थी, इस दौरान प्रदेश में कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और भूस्खलन की घटना हुईं।

बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री मंदिरों तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे तीन लोगों की मौत हो गई जबकि पांच अन्य लापता हो गए। बारिश के कारण अधिकांश नदियां उफान पर हैं और टिहरी, हरिद्वार तथा ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। देहरादून में आपदा नियंत्रण कक्ष ने बताया कि प्रदेश के रूद्रप्रयाग, श्रीनगर और देवप्रयाग में अलकनंदा, मंदाकिनी और गंगा नदी खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं। हिमाचल प्रदेश में बारिश के कहर से कम से कम 29 लोगों की मौत हो गई।

जुलाई के मध्य में, राजधानी और ऊपरी जलग्रहण इलाकों में भारी वर्षा के कारण दिल्ली को अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा था। 13 जुलाई को यमुना नदी का स्तर रिकॉर्ड 208.66 मीटर तक पहुंच गया था। यमुना ने अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया और पिछले चार दशक की तुलना में शहर के भीतरी क्षेत्रों तक प्रवेश कर गई थी। इस कारण 27,000 से अधिक लोगों को निकाला गया। संपत्ति, कारोबार और आदि के लिहाज से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

राजधानी में 10 जुलाई से लगातार आठ दिन तक नदी खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर बही। विशेषज्ञों ने दिल्ली में बाढ़ के कई कारण बताये थे, जिनमें नदी के बाढ़ संभावित क्षेत्र पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर अत्यधिक वर्षा और नदी तल में गाद जमा होना प्रमुख हैं। यमुना नदी प्रणाली के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं।

दिल्ली में नदी के पास के निचले इलाके बाढ़ के प्रति संवेदनशील माने जाते हैं और इन इलाकों में करीब 41 हजार लोग रहते हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण, राजस्व विभाग और निजी व्यक्तियों की भूमि होने के बावजूद, नदी के बाढ़ संभावित क्षेत्र पर पिछले कुछ वर्षों में अतिक्रमण हुआ है। शहर के उत्तर-पूर्व, पूर्व, मध्य और दक्षिण-पूर्व जिले बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हैं। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा ‘‘शहरी बाढ़ एवं उसका प्रबंधन” विषय पर एक अध्ययन में पूर्वी दिल्ली को बाढ़ संभावित क्षेत्र के अंतर्गत और बाढ़ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील माना गया है।

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