नवरात्र में इंटरनेट मीडिया से दूरी बनाकर आस्था और अध्यात्म से जुड़े युवा
भोपाल। नवरात्र में अन्य कामों से ध्यान हटाकर यदि देवी मां की आराधना लगन से की जाए तो भक्ति के मार्ग में इससे बेहतर और क्या हो सकता है। कुछ युवा इसे अपना भी रहे हैं। आजकल के युवाओं का ज्यादातर समय मोबाइल के साथ गुजर रहा है। वे इस घातक दुनिया को अपना हर-पल का साथी समझने लगा है। वे घर-परिवार और दोस्तों के साथ ही ईश्वर से भी अलग होते जा रहे हैं, लेकिन शहर में कुछ ऐसे भी युवा हैं, जो नवरात्र पर पिछले तीन साल से ई-फास्टिंग कर रहे हैं। वे इस दौरान पूरी तरह से इंटरनेट मीडिया से दूरी बना लेते हैं। इस नवरात्र में भी ई-फास्टिंग का चलन बहुतायत में देखने को मिला। नवदुनिया ने ई-फास्टिंग करने वाले युवाओं से बातचीत कर इसके फायदों के बारे में जाना।
धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया
पिछले तीन साल से ई-फास्टिंग करने वाले यश जैन ने बताया कि इस बार उन्होंने ई-फास्टिंग अष्टमी को की। उन्होंने बताया कि ई-फास्टिंग को लेकर मेरा कोई दिन तय नहीं है। मैं इंटरनेट मीडिया से दूर होकर भगवान में ध्यान लगाता हूं। किसी भी मंदिर में जाकर धर्म से जुड़ी किताबें पढ़ता हूं, जिससे दिमाग को आराम और मन को शांति मिलने के साथ ही अपने बारे में सोचने का समय मिलता है। इस अष्टमी को सुबह शाम छह बजे तक ई-फास्टिंग की और जो भी लोग संपर्क में आए, उन्हें भी इसके लिए प्रेरित किया।
जमीन पर सोती हूं और ज्यादातर मौन रहती हूं
प्रियांशी श्रीवास्तव ने बताया कि 14 साल की उम्र से नवरात्र पर उपवास कर रही हूं। मैं हर बार कोशिश करती हूं कि इन नौ दिनों फोन को अलग रखकर भगवान की आराधना को समय दिया जाए। इसलिए गणेश की अराधना से दिन की शुरुआत की और दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय का पाठ किया। मैं इन नौ दिनों में अन्न का त्याग कर सिर्फ एक बार रात को फल खाती हूं। जमीन पर पतली चटाई बिछाकर सोती हूं और ज्यादातर मौन व्रत रखती हूं। इन नौ दिनों में घर धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा रहा।
फोन से दूरी बनाकर आस्था को समीप लाती हूं
23 साल की इशिता भावसार ने बताया कि मैं एक निजी कंपनी में काम करती हूं और पिछले छह सालों से नवरात्र व्रत कर रही हूं। इस बार मैंने सोचा क्यों ना ई-फास्टिंग की जाएं। जो कि बहुत कुछ नया अनुभव कराता है। मैं शास्त्र संवत हर जप नियम को फालो करती हूं। इसके साथ नौ दिनों तक बिना चप्पल के रहती हूं। ई-फास्टिंग से हम बहुत कुछ बदल सकते हैं। अपने परिवार और अपने आप को समय देते हैं, जिससे अपने अंदर की खूबी से रूबरू होने का मौका मिलता है।
समाज को देना चाहता हूं नई दिशा
पिछले चार साल से नवरात्र में ई-फास्टिंग करने वाले दीपक साकरे बताते हैं कि एक दिन मोबाइल और इंटरनेट मीडिया से दूर रहने के बाद काफी सुकून मिलता है। मेरा उद्देश्य रहता है कि इससे समाज को नई दिशा दी जाए। सभी लोग महीने में एक दिन मोबाइल से दूर रहेंगे तो कुछ अलग कर जाएंगे। मेरी कोशिश रहती है कि मैं इस दिन पूरा समय अपने आप को और परिवार को दूं। ज्यादा कुछ जरूरी होता है तो फोन पर बात कर लेता हूं।ई-फास्टिंग से काम में कोई दिक्कत नहीं आती है।
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