ब्रेकिंग
देवबंद के मदरसे को जलाने की धमकी, पथराव-लाठीचार्ज… नरसिंहानंद के बयान पर बवाल यति नरसिंहानंद के खिलाफ हो NSA, UAPA के तहत कार्रवाई…सासंद इकरा हसन की मांग हरियाणा और जम्मू कश्मीर में किस पार्टी को मिलेगा ताज? जानें सियासी हाल ड्रग्स, शराब, रैगिंग और धमकी… जूनियर डॉक्टरों पर चलता था जुल्म, अब खुला राज Bigg Boss 18: मैं जो लाऊंगा वो भागेगी नहीं- अब सलमान खान का रिश्ता कराएंगे अनिरुद्धाचार्य! Women’s T20WC: भारत और पाकिस्तान ने लिया बड़ा फैसला, इस वजह से टीम में किए 1-1 बदलाव iPhone पर डबल टैप करके डाउनलोड करें Instagram और YouTube वीडियो, आसान है तरीका उपांग ललिता व्रत कल, इस सरल विधि से करें पूजा, जानें शुभ तिथि से लेकर पारण तक सबकुछ पाकिस्तान में जारी रहेगा इमरान के समर्थन में प्रदर्शन, सीएम गंडापुर हैं लापता करवा चौथ पर चेहरा करेगा ग्लो, आज से ही अपना लें ये टिप्स

2024 में साथ आईं जातियों को 2027 तक संभालने का प्लान, अब PDA को गांव-गांव पहुंचाएंगे अखिलेश यादव

लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव का पीडीए (पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक) फॉर्मूला हिट रहा. उत्तर प्रदेश की 80 में से सबसे अधिक 37 लोकसभा सीटें सपा जीतने में कामयाब रही है. अखिलेश अब 2024 के चुनाव में यादव-मुस्लिम के अलावा सपा के साथ आए नए वोट बैंक को जोड़े रखने की कवायद में हैं. सपा को इस बार कुर्मी, निषाद, बिंद, जाट, राजभर, लोधी, भूमिहार, मौर्य, कुशवाहा और शाक्य जैसी जातियों ने भी ठीक-ठाक वोट दिए हैं. सपा अब इन्हें अपने साथ मजबूती से जोड़े रखने के लिए गांव-गांव ‘पीडीए पंचायत’ कराने का रूपरेखा बना रही है ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में सत्ता का वनवास खत्म किया जा सके?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव पीडीए फॉर्मूले के जरिए ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारी मात देने में सफल रहे हैं. लोकसभा चुनाव में 10 कुर्मी, 5 मल्लाह, 5 मौर्य-शाक्य को प्रत्याशी बनाया था. 7 कुर्मी सपा से सांसद चुने गए हैं तो 3 मौर्य-शाक्य चुने गए जबकि 2 निषाद सांसद बने हैं. इसके अलावा दलित समुदाय में सबसे बड़ा भरोसा पासी समुदाय पर किया था और 5 पासी सांसद सपा से चुने गए हैं. इसके अलावा ओबीसी के जाट, राजभर और लोधी समुदाय पर भी फोकस किया था, जिसमें से पार्टी कुछ हद तक सफल रही.

कोर वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश

लोकसभा के चुनाव में गैर-यादव ओबीसी और दलित समुदाय की कई जातियां भले ही सियासी परिस्थितियों के चलते साल 2024 के चुनाव में सपा के साख खड़ी नजर आई हैं, वो पार्टी की कोर वोट बैंक नहीं रही हैं. चुनाव दर चुनाव उनका सियासी मिजाज बदलता रहता है. यूपी की सियासत में गैर-यादव ओबीसी जातियों में कुर्मी से लेकर राजभर, मौर्य-शाक्य, नोनिया, गुर्जर, पाल, प्रजापति और लोहार जैसी जातियों की ताकत को कांशीराम ने पहचाना था और उन्हें अपने साथ जोड़ा था. बसपा के सियासी तौर पर कमजोर होने के चलते ये तमाम ओबीसी जातियां बीजेपी के साथ खड़ी हो गई थीं, जिसकी बदौलत बीजेपी यूपी में 2014 और 2019 के लोकसभा के साथ-साथ 2017 तथा 2022 के विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही थी.

अब 2024 में अखिलेश यादव ने सपा की यादव और मुस्लिम परस्त छवि को तोड़ने के लिए पीडीए का नया फॉर्मूला दिया. सपा ने यादव को 5 और मुस्लिम को 4 टिकट दिए, जो अब तक के इतिहास में सबसे कम था. मुस्लिम-यादव को चुनावी मैदान में उतारने के बजाय कुर्मी, निषाद, मौर्य-शाक्य पर दांव खेला, जिसके सहारे बीजेपी ने अपनी सियासी जड़े उत्तर प्रदेश में जमाने में कामयाब रही थी. यादव और मुस्लिम बेस वोट के सहारे जुड़ी नई जातियों ने बीजेपी को मजबूत किले को ध्वस्त कर दिया. अखिलेश यादव को अब बीजेपी को हराने का मंत्र मिल चुका है और उन्हें 2027 में यूपी में सत्ता में अपनी वापसी की उम्मीदें दिख रही हैं.

वोट शेयर-सीटों के लिहाज से बेस्ट प्रदर्शन

सपा ने इस लोकसभा चुनाव में वोट शेयर और सीटों के लिहाज से अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है. सपा ने 37 सीटों के साथ ही 33.59 फीसदी वोट यूपी में मिले हैं. पार्टी अपने इस प्रदर्शन में पीडीए रणनीति का अहम योगदान मान रही है. पार्टी ने पिछड़ों में गैर-यादव ओबीसी पर फोकस किया तो उसे अच्छे परिणाम मिल गए. पीडीए रणनीति की सफलता से उत्साहित सपा इसकी धार और तेज करने जा रही है. संसद सत्र खत्म होने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा तय करेंगे. पार्टी इस पंचायत के जरिए अधिकतम गांवों तक पहुंचने की कोशिश करेगी.

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि पीडीए पंचायत के जरिए सपा पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को बीजेपी सरकार द्वारा उनके अधिकारों पर किए जा रहे हमले और संविधान के साथ किस तरह खिलवाड़ किया जा रहा है उसके बारे में शिक्षित किया जाएगा. संसद सत्र खत्म होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा तय करेंगे. इसके जरिए पार्टी गांव-गांव में पीडीए पंचायत करने का काम करेगी. इस तरह से सपा तमाम ओबीसी जातियों को एकजुट करेगी और उन्हें अधिकारों के प्रति जागरूक करेगी.

अखिलेश यादव इस बात को 2022 के चुनाव के बाद भी समझ गए थे कि ओबीसी जातियों को एकजुट किए बिना बीजेपी को मात देना आसान नहीं होगा. इसीलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा तमाम ओबीसी जातियों को अपने साथ जोड़ने में काफी हद तक सफल रही है, जिसमें कुर्मी, मल्लाह, जाट, राजभर, लोध और मौर्य-शाक्य-सैनी-कुशवाहा जैसी जातियां शामिल हैं. दलितों में पासी, दोहरे, कोरी जातियों ने भी अहम रोल अदा की हैं. सपा अब इन्हें स्थायी तौर पर अपने साथ उसी तरह जोड़े रखना चाहती है, जिस तरह यादव और मु्स्लिम उसके कोर वोटबैंक हैं. सपा ने अब गांव-गांव पीडीए पंचायत कराने का प्लान बनाया है ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में भी सफलता हासिल की जा सके.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.