ब्रेकिंग
अडानी से लेकर मणिपुर तक… कांग्रेस ने बताया किन मुद्दों को संसद सत्र में उठाएगी जंगल से मिला लड़के का शव…रेत दिया गया था गला, पुलिस ने दो दोस्तों से की पूछताछ, एक ने लगा ली फांसी महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बाद सरकार बनाने की तैयारी तेज, BJP-शिवसेना-NCP की अलग-अलग बैठकें पत्थर तो चलेंगे… संभल बवाल पर बोले रामगोपाल यादव, अखिलेश ने कहा- सरकार ने जानबूझकर कराया पाकिस्तान से जंग में तीन बंकरों को कर दिया था नेस्तनाबूद , कहानी गाजीपुर के राम उग्रह पांडेय की झारखंड: जिस पार्टी का जीता सिर्फ एक विधायक, उसने भी बोला दे दूंगा इस्तीफा गाजियाबाद: डासना मंदिर के बाहर फोर्स तैनात, यति नरसिंहानंद को दिल्ली जाने से रोका, ये है वजह गूगल मैप ने दिया ‘धोखा’… दिखाया गलत रास्ता, पुल से नदी में गिरी कार, 3 की मौत 30 लाख की नौकरी छोड़ी, UPSC क्रैक कर बने IPS, जानें कौन हैं संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई? संभल: मस्जिद के सर्वे को लेकर 1 घंटे तक तांडव… फूंक दीं 7 गाड़ियां, 3 की मौत; बवाल की कहानी

हाथरस कांड: SIT की रिपोर्ट में ऐसा क्या है? नप गए SDM-CO समेत 6 अधिकारी

हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ और इसमें 121 लोगों की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार बिल्कुल ढिलाई के मूड में नहीं है. इस मामले में सरकार ने एसडीएम, सीओ और एसएचओ समेत छह अफसरों की जिम्मेदारी तय करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. इन अफसरों पर आरोप है कि इन्होंने मामले की पूरी जानकारी होने के बावजूद न तो खुद कोई फैसला लिया और ना ही अपने उच्चाधिकारियों को ही सूचित किया.सरकार ने यह फैसला एडीसी और मंडलायुक्त के संयुक्त नेतृत्व में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट देखने के बाद की है.

एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में इस घटना के लिए मुख्य जिम्मेदार बताया है. वहीं इन छह अधिकारियों के ऊपर भी लापरवाही का ठप्पा लगाया है. एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को भेजी जांच रिपोर्ट में सत्संग के आयोजकों को मुख्य जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि उन लोगों ने पुलिस और प्रशासन से अनुमति लेते समय तथ्यों को छिपाया था. उन लोगों ने अनुमति कुछ हजार लोगों की भीड़ जुटाने के लिए ली थी, लेकिन जुटा लिए 7 लाख लोग. इसी प्रकार इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी आयोजन स्थल पर समुचित इंतजाम नहीं किए गए थे.

ये अधिकारी नपे

अपनी जांच रिपोर्ट में एसआईटी ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को दोषी माना है. एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने इस सत्संग में संभावित भीड़ को गंभीरता से नहीं लिया. यहां तक कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को भी समुचित जानकारी नहीं दी. इसके लिए एसआईटी ने सीधे तौर पर प्रशासन के अधिकारी एसडीएम सिकंदराराऊ, और तहसीलदार सिकंदराराऊ को दोषी माना है. वहीं पुलिस में सीओ सिकंदराराऊ और एसएचओ के साथ संबंधित चौकी इंचार्ज को भी जिम्मेदार मानते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है.

ऐसे हुई गड़बड़ी

एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक आयोजकों ने जिन लोगों को व्यवस्था में लगाया था, उनका पुलिस वैरिफिकेशन नहीं कराया. यही नहीं, जब भगदड़ मची तो सभी आयोजक मौके से भाग गए. इस सत्संग में आए लोगों से बातचीत के साथ मौके की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के आधार पर एसआईटी ने माना कि आयोजन स्थल पर इतनी भीड़ को ना तो बैठने की व्यवस्था थी और ना ही पंडाल में आने जाने के लिए समुचित एक्जिट ही बनाए गए थे. एसआईटी ने इस घटना की रिपोर्ट बनाते हुए प्रकरण के पीछे किसी बड़ी साजिश की भी आशंका जताई है. इसके लिए एसआईटी ने अलग से कमेटी बनाकर जांच करने की सिफारिश की है.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.