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सड़क पर बिखरी लाशें, सिर धड़ से अलग…. मॉस्को-दागिस्तान में आतंकी हमले की कहानी, जिसका PM मोदी ने किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे के दौरान आतंकवाद का दर्द भी छलक पड़ा. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात में प्रधानमंत्री ने कहा कि लगभग 10 सालों में हम (मोदी-पुतिन) 17 बार मिले हैं. यह हमारे संबंधों की गहराई को दिखाता है. 40-50 सालों से भारत आतंकवाद का सामना कर रहा है. हम देख रहे हैं कि आतंकवाद कितना भयानक और घिनौना है. जब मॉस्को और दागिस्तान में आतंकवादी घटनाएं हुईं तो मैं कल्पना कर सकता हूं कि इसका दर्द कितना गहरा होगा. मैं सभी प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा करता हूं. आइए जान लेते हैं मॉस्को और दागिस्तान में हुए आतंकी हमला की पूरी कहानी.

रूस के दागिस्तान में 23 जून 2024 को आतंकवादियों ने हमला बोल दिया था. उन्होंने दो चर्च, एक यहूदी मंदिर (सिनेगॉग) और एक पुलिस चौकी को निशाना बनाया. हमले के शिकार यहूदी मंदिर और चर्च दागिस्तान के डर्बेंट शहर में हैं. यह शहर मुस्लिम बहुलता वाले इलाके उत्तरी काकेशस में यहूदी समुदाय का गढ़ माना जाता है. वहीं हमले की शिकार पुलिस चौकी डर्बेंट शहर से 125 किमी दूर है. यह चौकी दागिस्तान की राजधानी माखचकाला में है.

यहूदी मंदिर और चर्च में लग गई थी आग

इस भीषण आतंकवादी हमले के दौरान एक पादरी और 15 पुलिसकर्मियों के साथ ही कई आम नागरिकों की जान चली गई. उनके शव सड़क पर बिखरे दिख रहे थे. क्रूर आतंकवादियों ने 66 साल के पादरी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. डर्बेंट के सिनेगॉग और चर्च में आतंकवादी हमले के दौरान आग लग गई थी. आतंकवादियों ने एक और यहूदी मंदिर पर भी गोलियां बरसाईं पर तब वहां कोई मौजूद नहीं था.

चार आतंकवादी मारे गए

हमले के बाद आतंकवादियों को एक कार में भागते देखा गया था. हालांकि, सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में चार आतंकवादियों को मार गिराया था. कुछ भागने में सफल रहे. रूस की समाचार एजेंसी का कहना था कि ये हमलावर अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन के सदस्य थे, जबकि दागिस्तान के नेता अब्दुलखाकिम गडजियेव का दावा था कि ये हमले यूक्रेन और नाटो देशों की खुफिया एजेंसियों से जुड़े हैं.

पुतिन के राष्ट्रपति बनते ही किया था हमला

रूस में हुआ यह दूसरा आतंकवादी हमला था. इससे पहले पांचवीं बार पुतिन के राष्ट्रपति बनने के पांच दिन बाद ही मॉस्को में भीषण आतंकवादी हमला हुआ था. 22 मार्च 2024 की रात को सेना जैसी वर्दी पहनकर चार आतंकवादी मॉस्को में क्रोकस सिटी हॉल पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे. इसके बाद बम फेंकते हुए भाग निकले थे. इस हमले में 143 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.

पहले से ही हॉल में छिपा रखे थे हथियार

रूस की जांच एजेंसियों के हवाले से मीडिया में रिपोर्ट आई थी कि पूरी योजना बनाकर यह हमला किया गया था. इसके लिए हथियार पहले से ही क्रोकस सिटी हॉल में छिपा दिए गए थे. इनकी योजना थी कि हमले के बाद यूक्रेन की ओर भागेंगे. वैसा ही किया भी पर भागने की कोशिश कर रहे चार लोगों को रूस-यूक्रेन बॉर्डर से एक सफेद कार में पकड़ लिया गया था. उनकी मदद करने वाले सात लोगों को भी पकड़ा गया था. इस हमले के बाद रूसी राष्ट्रपति ने अपने यहां 24 मार्च को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी.

इस हमले की जिम्मेदारी आईसआईएस-के ने ली थी. इसके बाद रूसी काउंसिल के पूर्व चेयरपर्सन और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने चेतावनी दी थी कि उनका देश खून का बदला खून से लेगा. आतंकवादियों की मौत के साथ ही उनके परिवार वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी.

भारत भी आए दिन आतंकवादी घटनाओं का शिकार होता रहता है. खासकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी आए दिन सुरक्षा बलों को अपना निशाना बना रहे हैं. ऐसे में जब प्रधानमंत्री मोदी रूस पहुंचे तो दोनों देशों की साझा पीड़ा उभर आई.

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