दुर्लभ बीमारी से पीड़ित गाजा की बच्ची को मिली नई जिंदगी, जानें कैसे हुआ चमत्कार
इजराइल-हमास की जंग के बाद से गाजा की खराब स्थिति से हर कोई वाकिफ है, इस जंग में कई हजार लोगों की जान भी जा चुकी है, लेकिन अभी भी इस जंग के खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. जंग की वजह से गाजा में फंसे लोगों को इससे सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है. दोनों तरफ से हो रहे अटैक की वजह से कई सारी बीमारियां बड़ी उम्र से लेकर नवजात बच्चों में हो रही है, इसी बीच गाजा में फंसी 4 साल की जूलिया का मामला भी सभी के सामने आ रहा है.
गाजा में रह रही जूलिया अबू जीटर केवल 4 साल की है. जूलिया को एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें रेगुलर दवा न चलाना काफी घातक साबित होता है, जिसका साक्षात प्रमाण जूलिया खुद है. पिछले साल अक्टूबर यानी 9 महीने से गाजा में हो रहे इस जंग के बीच जूलिया की स्थिति काफी खराब हो गई थी, जिससे उसकी स्थिति मरने वाली हो गई थी. इन 9 महीनों में अपनी जान बचाने के जहां लोग इधर-उधर भाग रहे थे, वहां जूलिया दो लड़ाईया लड़ रही थी, 9 महीनों तक जूलिया की बीमारी को लेकर दवा चलाई गई, लेकिन पिछले 3, 4 महीने से उसकी कुछ दवा खत्म हो चुकी है और मानवीय सहायता पर भी रोक लगा दी गई थी, जिससे जूलिया पैरालिसिस की स्थिति में है. क्योंकि किसी भी तरह का उपचार उस तक नहीं पहुंच पा रहा था.
ह्यूमन टाइम बम: समय-समय पर आता है अटैक
जूलिया अल्टरनेटिंग हेमिप्लेजिया ऑफ चाइल्डहुड या AHC से पीड़ित है. इस बीमारी का कोई भी इलाज अभी मौजूद नहीं है, इस बीमारी को ह्यूमन टाइम बम भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें कुछ-कुछ समय पर पैरालिसिस का अटैक आता है, जिससे जान भी जा सकती है. इस दौरान तुरंत कोई न कोई उपचार करना जरूरी होता है. आने वाले अटैक पर लगातार निगरानी करनी पड़ती है. जूलिया ने इस जंग के दौरान काफी मुश्किल समय देखा है, लेकिन आखिर में जूलिया को उसकी 21 साल की आंटी डेरेन जीटर के साथ जंग वाले क्षेत्र से बाहर निकाला गया. डेरेन ने मीडिया से बताया कि इस तरह से शिफ्ट करना काफी मुश्किल था, उसने जूलिया की आपबीती सुनाते हुए बोली कि उसने जो कुछ भी देखा है वो सभी काफी डरावना था. कुछ समय तक जूलिया और डेरेन से संयुक्त अरब अमीरात के चलाए जा रहे फ्लोटिंग अस्पताल में थे, जिसमें एक दर्जन रोगी शामिल थे.
अभी तक गाजा में 26,000 बच्चे मरे या हुए घायल
यह अस्पताल राफा से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. फरवरी से लेकर 2400 घायल लोग फिलिस्तीनी लोग चुके हैं. डेरेन ने बताया कि गैर-सरकारी संगठन, फिलिस्तीन चिल्ट्रेन रिलिफ फंड (PCRF) की मदद से जूलिया को आखिरकार इजरायल के केरेम शालोम क्रॉसिंग से बाहर निकला गया. जूलिया के अलावा और भी कई सारे बच्चे भूख और कुपोषण से अपनी जान गंवा रहे है, बच्चों की इस तरह से हो रही मौत से ये पता चलता है कि पूरे क्षेत्र में अकाल की स्थिति बन चुकी है, जो कि आगे आने वाले समय में और भी ज्यादा खराब होने वाली है. सेव द चिल्ड्रन ने अप्रैल में कहा था कि पिछले छह महीनों में गाजा में लगभग 26,000 बच्चे मारे गए हैं या घायल हुए हैं, जो गाजा की कुल बाल जनसंख्या का लगभग 2% है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.