गंभीर बीमारियों के मरीजों को क्यों कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करना है जरूरी? एक्सपर्ट्स से जानें
कोलेस्ट्रॉल अगर नसों में जम जाए तो दिल का दौरा भी पड़ सकता है. ये हमें दिल से जुड़ी दूसरी बीमारियों या प्रॉब्लम्स का शिकार बनाता है. इसलिए इसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है. कोलेस्ट्रॉल एक चिपचिपा पदार्थ है जो हमारे शरीर के सभी सेल्स में पाया जाता है. उम्र के एक पड़ाव पर आकर लोग बैड कोलेस्ट्रॉल के मरीज बन जाते हैं. खराब खानपान और बिगड़े हुए लाइफस्टाइल के कारण बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल शरीर में बढ़ने लगता है. हाल ही में कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) ने कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल को लेकर गाइडलाइंस जारी की गई थी.
ये गाइडलाइंस पहली बार भारत मं जारी गई थी जिसमें शरीर के कुल कोलेस्ट्रॉल लेवल, एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) एचडीएल (गुड कोलेस्ट्रॉल) और ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल कितना होना चाहिए ये बताया गया है. कोलेस्ट्रॉल को लेकर कई मिथ लोगों में फैले हुए हैं. इनमें से एक गंभीर बीमारियों में इसे कंट्रोल करने को लेकर भी है. हाई बीपी और डायबिटीज जैसे मरीज अगर कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हो तो उन्हें क्यों कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना चाहिए ये हम आपको बताने जा रहे हैं. जानें…
क्या है कोलेस्ट्रॉल?
हेल्थलाइन के अनुसार कोलेस्ट्रॉल एक तरह से लिपिड का टाइप है जिसका निर्माण लिवर करता है. ये हमारे कई हार्मोन और विटामिन डी के निर्माण में मदद करता है. कोलेस्ट्रॉल हमारे ब्लड में खुद ट्रैवल नहीं कर पाता इसलिए लिवर लिपोप्रोटीन्स का निर्माण करता है. लिपोप्रोटीन के दो फॉर्म बनते हैं जिसे लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) और हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) बनते है और इन्हीं को कोलेस्ट्रॉल का टाइप पुकारा जाता है.
अगर ब्लड हद से ज्यादा एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेकर चल रहा है तो ये हाई कोलेस्ट्रॉल को दर्शाता है. इसका इलाज न किया जाए तो स्ट्रोक या हार्ट अटैक तक आ जाता है. बैचेनी, सांस लेने में परेशानी, बीपी का बढ़ना, अचानक घबराहट होना, मतली या उल्टी का लगातार होना जैसे लक्षण बताते हैं कि आपको हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत हो सकती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जे. पी. एस. साहने ने बताया कि हाई रिस्क वाले मरीज यानी, जिन्हें डायबिटीज या हाई बीपी है उन्हें एलडीएल-सी को 70 मिलीग्राम/डीएल से नीचे और गैर-एचडीएल को 100 मिलीग्राम/डीएल से नीचे रखना चाहिए. अगर इन लोगों में कोलेस्ट्रॉल इससे ज्यादा बढ़ता है तो यह उनके लिए खतरनाक हो सकता है. वहीं हेल्थ एक्सपर्ट डॉ समीर भाटी बताते हैं कि हर व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह पर कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए. कोलेस्ट्रॉल की जांच से हार्ट की बीमारी का रिस्क काफी कम किया जा सकता है. अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ा रहता है तो समय पर जांच से इसको कंट्रोल किया जा सकता है. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने से हार्ट डिजीज का रिस्क कम हो जाता है.
हाई बीपी वालों के लिए खतरा
अगर कोई हाई बीपी का मरीज है तो उसे कोलेस्ट्रॉल को लेकर बहुत सीरियस रहना चाहिए. क्योंकि कोलेस्ट्रॉल हमारे हार्ट की आर्टरीज को ब्लॉक करने के काम करता है. ऐसे में ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है और हार्ट अटैक तक आ सकता है. दरअसल, दिल का मेन का पंप करना है जिससे शरीर में ब्लड के जरिए ऑक्सीजन पहुंचती है. ब्लड प्रेशर के प्रभावित होने पर धमनियों को नुकसान पहुंचता है और दिल का दौरा आ जाता है.
डायबिटीज वालों के लिए खतरा
हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज के होने का अहम कारण खराब लाइफस्टाइल को माना जाता है. अगर बॉडी में इंसुलिन का लेवल सही नहीं है तो ब्लड शुगर बढ़ता है और इसका सीधा असर कोलेस्ट्रॉल पर भी पड़ता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इंसुलिन ब्लड शुगर के साथ कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल करता है.
ऐसे करें कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल
हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत होने पर इसे कंट्रोल करने के लिए डॉक्टरी इलाज जरूर कराएं. इसके अलावा आप डाइट में बदलाव करके भी बैड कोलेस्ट्रॉल से खुद को बचा सकते हैं. इसके अलावा मोनोसैचुरेटेड फैट्स और सॉल्युबल फाइबर का इंटेक सही रखना चाहिए. मोनोसैचुरेटेड फैट के लिए आप एवोकाडो, ऑलिव ऑयल जैसी चीजों को खा सकते हैं. वहीं सॉल्युबल फाइबर के लिए फ्रूट्स, छोले और राजमा जैसी चीजों को खा सकते हैं.
इसके अलावा हेल्दी वेट भी मेंटेन रखें क्योंकि कोलेस्ट्रॉल पतले लोगों को भी अपना शिकार बना सकता है. जबकि ये मिथ है कि पतले लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत नहीं होती. वैसे बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने का बेस्ट तरीका एक्सरसाइज है. अच्छी डाइट के अलावा दिन भर में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए.
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