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न माया मिली न राम… उपचुनाव में ये 5 दलबदलू रहे खाली हाथ

7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. इन चुनावों में कई बड़े उलटफेर देखने को मिले हैं. सबसे बड़ा खेल दल बदल कर आए नेताओं के साथ हुआ है. राजनीतिक महत्वकांक्षा में विधायक बनने के बावजूद पार्टी छोड़ने वाले 5 नेताओं को जनता ने बुरी तरह से परास्त कर दिया है. जिन विधायकों के साथ यह खेल हुआ है, उनमें 2 हिमाचल, एक बिहार, एक पंजाब और एक उत्तराखंड के हैं.

अब हारे हुए इन नेताओं के बारे में सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि इन्हें न तो माया मिल पाई और न ही राम. मतलब- न तो इन नेताओं को कोई बड़ा पद मिल पाया और न ही ये अब विधायक रह पाए.

कौन हैं वो 5 नेता, डिटेल में जानिए

बीमा भारती- लोकसभा चुनाव से पहले पूर्णिया के रूपौली सीट से जेडीयू विधायक बीमा भारती ने आरजेडी का दामन थाम लिया था. बीमा को आरजेडी ने लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन इस चुनाव में वो तीसरे नंबर पर रहीं.

बीमा की वजह से खाली हुई रूपौली सीट पर चुनाव आयोग ने लोकसभा के बाद उपचुनाव की घोषणा की. जेडीयू ने यहां से कलाधर मंडल तो आरजेडी ने बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया. टिकट न मिलने पर स्थानीय नेता शंकर सिंह निर्दलीय ही लड़ गए.

रूपौली के त्रिकोणीय मुकाबले में बीमा भारती बुरी तरह हार गईं. इस सीट से निर्दलीय शंकर सिंह चुनाव जीते. जेडीयू के कलाधर मंडल दूसरे स्थान पर रहे.

होशियार सिंह- 2022 के विधानसभा चुनाव में देहरा सीट पर होशियार सिंह निर्दलीय चुनाव जीते थे, लेकिन 2024 के मार्च में हुए सियासी उठापटक में वे बीजेपी के साथ खड़े हो गए. बीजेपी में बड़े पद की चक्कर में होशियार सिंह ने विधायकी से भी इस्तीफा दे दिया.

इसके बाद देहरा में उपचुनाव की घोषणा की गई. कांग्रेस ने इस सीट से मुख्यमंत्री की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतार दिया. कमलेश के मैदान में आने से देहरा में कांटे की टक्कर हो गई.

आखिर में कांग्रेस की कमलेश ठाकुर 9 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गईं.

केएल ठाकुर- देहरा की तरह ही हिमाचल की नालागढ़ सीट पर 2022 में निर्दलीय केएल ठाकुर चुनाव जीते थे, लेकिन 2024 के मार्च में हुए सियासी उठापटक के बाद उन्होंने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. नालागढ़ में जब चुनाव की घोषणा हुई, तो केएल ठाकुर को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया.

ठाकुर के मुकाबले कांग्रेस ने हरदीप सिंह बावा को मैदान में उतारा. चुनाव आयोग के मुताबिक नालागढ़ सीट से केएल ठाकुर करीब 9 हजार वोटों से चुनाव हार गए हैं. 2022 में अकेले दम पर 33 हजार वोट लाने वाले केएल इस बार बीजेपी के समर्थन से भी सिर्फ 25 हजार का आंकड़ा पार कर पाए.

राजेंद्र भंडारी- उत्तराखंड के बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के इस्तीफे की वजह से उपचुनाव कराया गया था. भंडारी लोकसभा से पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ गए थे. कहा जा रहा है कि भंडारी का बीजेपी में आने का उद्देश्य मंत्री बनना था, लेकिन उपचुनाव में ही उनके साथ खेल हो गया.

चुनाव आयोग के मुताबिक बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस के लखपत बुटौला ने 5 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है. भंडारी को 22 हजार के करीब वोट मिले हैं. 2022 में भंडारी को करीब 32 हजार वोट मिले थे.

शीतल अंगुराल- 2022 के विधानसभा चुनाव में शीतल अंगुराल जालंधर पश्चिम सीट से चुनाव जीते थे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सुशील रिंकू को करीब 5 हजार वोटों से हराया था, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले शीतल ने पाला बदल लिया. वे बीजेपी में शामिल हो गए.

शीतल के बीजेपी में जाने से आप को बड़ा झटका माना जा रहा था, लेकिन आप ने तुरंत ही डैमेज कंट्रोल करते हुए यहां से बीजेपी प्रत्याशी रहे मोहिंदर पाल भगत को अपने पाले में ले लिया. अब जब उपचुनाव की रणभेरी बजी तो आप ने भगत और बीजेपी ने शीतल को मैदान में उतार दिया.

चुनाव आयोग के मुताबिक भगत ने शीतल को करीब 40 हजार वोटों से यह चुनाव हराया है.

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