बिहार में जब-जब बढ़े महिलाओं के वोट, गिरी नीतीश कुमार की साख, विवादित बयान करेगा बैकफायर?
बिहार विधानसभा में महिला विधायक पर विवादित टिप्पणी कर नीतीश कुमार फिर से सुर्खियों में हैं. महिलाओं को लेकर पिछले 3 साल में बिहार के मुख्यमंत्री की जुबान 4 बार फिसल चुकी है. रेखा देवी पर नीतीश कुमार के विवादित बयान को विपक्ष ने महिला सम्मान से जोड़ा है. विपक्ष की रणनीति इस मुद्दे के सहारे नीतीश कुमार के पाले में बाकी बचे महिला वोटों को भी खिसकाने की है.
बिहार में महिलाओं को एक वक्त में नीतीश कुमार का कोर वोटर्स माना जाता था, लेकिन पिछले 2 चुनावों का डेटा देखा जाए तो महिलाओं ने 2010 के बाद से जब-जब ज्यादा वोट किए, तब-तब नीतीश कुमार की पार्टी के परफॉर्मेंस में गिरावट आई.
वोट देने में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आगे
आमतौर पर मतदान करने में पुरुष महिलाओं से आगे रहते हैं, लेकिन बिहार में पिछले 3 चुनावों से महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान करती हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक 2010 में 53 प्रतिशत पुरुषों ने बिहार में मतदान किया था, जबकि महिलाओं के 54.5 प्रतिशत वोट पड़े थे.
2015 के विधानसभा चुनाव में भी वोट देने में महिलाएं आगे थी. इस चुनाव में 51.1 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था, जबकि महिलाओं का वोटिंग टर्नआउट 60.4 प्रतिशत था. पुरुषों के मुकाबले इस चुनाव में महिलाओं के करीब 9 प्रतिशत ज्यादा वोट पड़े थे.
2020 के विधानसभा चुनाव में भी पुरुषों के मुकाबले वोट डालने में महिलाएं आगे रही थी. 2020 के चुनाव में पुरुषों के 54.6 प्रतिशत वोट पड़े थे, जबकि 59.7 प्रतिशत महिलाओं ने इस चुनाव में मतदान किया था. चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार में 7.64 करोड़ कुल मतदाता हैं, जिसमें से 4 करोड़ पुरुष और 3.6 करोड़ महिला वोटर हैं.
महिलाओं के वोट बढ़े तो नीतीश की साख गिरी
2010 में महिलाओं और पुरुषों के वोट प्रतिशत का फासला सिर्फ 1.5 प्रतिशत था. इस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को विधानसभा की 115 सीटों पर जीत मिली थी, जो बहुमत से सिर्फ 7 सीटें कम थी. 2015 में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने जमकर मतदान किया. इस चुनाव में नीतीश के परफॉर्मेंस में गिरावट आई. नीतीश कुमार की पार्टी विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई. उसे सिर्फ 71 सीटों पर जीत मिली.
2020 के चुनाव में भी महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया. इस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई. उसे सिर्फ विधानसभा की 43 सीटों पर जीत मिली. सीएसडीएस के मुताबिक 2020 में महागठबंधन को महिलाओं के 37 और एनडीए को 38 प्रतिशत वोट मिले थे.
एनडीए में जेडीयू का परफॉर्मेंस सबसे खराब था. नीतीश कुमार की पार्टी ने 2020 में 22 महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें से सिर्फ 6 महिलाएं चुनाव जीतकर सदन पहुंच पाई. बीजेपी ने इस चुनाव में 13 महिलाओं को मैदान में उतारा था और उसे 8 सीटों पर जीत मिल गई.
महिलाओं पर विवादित बयान करेगा बैकफायर?
बिहार में अब से 15 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन जिस तरह से महिलाओं पर टिप्पणी को लेकर नीतीश कुमार विवादों में रहे हैं, उससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या 2025 के चुनाव में उनके लिए यह सियासी बैकफायर करेगा?
2005 में जीत हासिल करने के बाद से ही नीतीश कुमार ने महिलाओं को साधने की कोशिश शुरू कर दी थी. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और पुलिस विभाग की नौकरियों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की.
नीतीश स्वयं सहायता समूह के जरिए भी महिला वोटरों को साधने की कोशिश करते नजर आए. महिला वोटरों को साधे के लिए नीतीश ने अपने किचन कैबिनेट में कई महिला नेताओं को भी शामिल किया था.
इनमें मंजू वर्मा, रेणु कुशवाहा, बीमा भारती और लेसी सिंह का नाम शामिल था. वर्तमान में लेसी सिंह को छोड़कर 3 महिला नेता या तो जेडीयू या बिहार की सियासत से दूर है.
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