ऑक्सफोर्ड के चांसलर का चुनाव लड़ेंगे इमरान खान! जेल से ऑनलाइन करेंगे नॉमिनेशन
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ऑक्सफोर्ड के चांसलर पद के लिए जेल से ही ऑनलाइन नामांकन करके चुनाव लड़ सकते हैं. यह जानकारी उनके करीबी सहयोगी से मिली है. बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री खान (71) कई मामलों में गिरफ़्तार किए जाने के बाद अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं.
इमरान खान को कुछ मामलों के लिए दोषी भी ठहराया गया है, जिनमें सबसे लंबी सजा आज की तारीख में नौ साल की है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के संस्थापक खान अगस्त 2018 से अप्रैल 2022 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे.
ऑक्सफोर्ड से की पढ़ाई
उन्होंने 1972 में केबल कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड में इकोनॉमिक्स और राजनीति का अध्ययन किया. उन्होंने 1971 में पाकिस्तान के लिए पहला टेस्ट क्रिकेट मैच खेला और साथ ही ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय की क्रिकेट टीम की कप्तानी भी की. वर्ष 2005 में, खान ब्रैडफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के चांसलर बने और 2014 तक इस पद पर रहे.
जेल की सजा काट रहे इमरान
सूत्रों के मुताबिक इमरान खान पाकिस्तान में अपनी जेल कोठरी से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के चांसलर पद का चुनाव लड़ेंगे. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व क्रिकेटर खान 10 साल की जेल की सजा काट रहे हैं, इसके बावजूद वह ऑनलाइन चुनाव में हिस्सा लेंगे.
ऑनलाइन होगा चांसलर का चुनाव
इमरान खान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार सईद जुल्फी बुखारी ने कहा कि इमरान खान ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के चांसलर पद का चुनाव लड़ेंगे क्योंकि जनता की मांग है कि उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए. पहली बार चांसलर के लिए चुनाव ऑनलाइन होगा, जबकि पारंपरिक प्रक्रिया में स्नातकों को पूरी शैक्षणिक पोशाक में प्रक्रिया में शामिल होना पड़ता है.
प्रतिष्ठित चांसलर का पद विश्वविद्यालय के स्नातकों को मिलता है, जो आमतौर पर नेता होते हैं. बुखारी ने पाकिस्तान के जियो न्यूज से बात करते हुए पुष्टि की इमरान खान इस पद के लिए चुनाव लड़ेंगे. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री सर टोनी ब्लेयर और बोरिस जॉनसन भी विश्वविद्यालय के चांसलर बनने के लिए उम्मीदवारों में शामिल हैं.
पीटीआई का आधिकारिक बयान
हालांकि, खुद इमरान खान या उनकी पार्टी पीटीआई की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में यह पद 80 वर्षीय लॉर्ड पैटन के इस्तीफे के बाद रिक्त हुआ है, जिन्होंने 21 वर्षों तक इस पद पर रहने के बाद पद छोड़ दिया है.
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