मप्र के मुरैना में खाद के कूपन की भी कालाबाजारी… मजबूर किसानों को 50 रुपये में बेच रहे दलाल
मुरैना। जिले में यूरिया खाद के लिए किसानों की जद्दोजहद बढ़ती जा रही है। किसान पहले टोकन के लिए घण्टों तक लाइन में लग रहे हैं, फिर खाद के लिए कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। किसानों की इस मजबूरी को देख दलाल भी सक्रिय हो गए हैं, जो टोकन की कालाबाजारी कर रहे हैं। किसानों का एक टोकन 50 रुपये तक में बेचा जा रहा है। इस कालाबाजारी में टोकन वितरण से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।
शनिवार को इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो कृषि उपज मंडी परिसर में बने विपणन संघ के गोदाम के पास का है, जहां किसानाें को टोकन और खाद का वितरण हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है, कि बाइक पर बैठा युवक खाद के लिए टोकनों को ब्लेक में बेक रहा है। एक टोकन का 50 रुपये किसानों को मांग रहा है और कह रहा है, कि इन टोकन से बायपास पर खाद मिलेगा।
एक टोकन पर पांंच बोरे खाद की बात
- एक टोकन पर पांच बोरे यूरिया खाद मिलने की बात वह युवक कह रहा है, जो टोकन की कालाबाजारी कर रहा है।
- कुछ किसान हाथों में रुपये लेकर टोकन लेने के लिए खड़े नजर आ रहे हैं।
- ऐसे में सवाल उठता है, कि किसानों को पांच-पांच घंटे लाइन में लगने के बाद भी टोकन नहीं मिल पा रहे
- सवाल यह भी है कि कालाबाजारी करने वालों को टोकन कहां से मिल रहे हैं।
- दूसरी ओर बाजार में भी खाद की कालाबाजारी की जा रही है।
- जौरा रोड, मुड़ियाखेड़ा और बड़ोखर क्षेत्र में कई खाद-बीज की दुकानों पर यूरिया खाद का एक बोरा 350 रुपये में बेचा जा रहा है।
- यूरिया खाद के एक बाेरे का सही मूल्य 270 रुपये है। यानी एक बोरे पर 80 रुपये तक की कालाबाजारी हो रही है।
किसान खुलकर कर रहे शिकायत
इसकी शिकायतें गोदामों पर खाद लेने आ रहे किसान भी खुलकर कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन अब तक किसी भी कालाबाजारी पर कार्रवाई नहीं कर सका है। ऐसी कालाबाजारी को रोकने के लिए कलेक्टर अंकित अस्थाना ने खाद वितरण केंद्रों पर राजस्व अधिकारी-कर्मचारियाें की ड्यूटी लगाई है। पुलिसकर्मी पहले से सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं, फिर भी टोकन और खाद की कालाबाजारी होना प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने वाला है।
यूरिया का 50 फीस कोटा मिला, डीएपी का संकट
खरीफ सीजन की खेती के लिए मुरैना जिले के किसानों के लिए जितनी खाद की मांग सरकार से की है, उसमें से यूरिया खाद का आधे से ज्यादा स्टाक जिले को मिल चुका है, वहीं डीएपी खाद का इस साल संकट गहरा सकता है, क्योंकि मांग अनुसार डीएपी खाद मुरैना को नहीं मिल पा रहा है। इस सीजन के लिए 24 हजार मीट्रिक टन डीएपी की मांग की गई है, जिसमें से लगभग 4500 टन डीएपी ही जिले को मिला है।
40 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद की मांग
इसमें से 2500 टन से ज्यादा का वितरण हो चुका है। वहीं 40 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद की मांग की गई, जिसमें से करीब 22 हजार मीट्रिक टन यूरिया जिले को मिल चुका है, इसमें से लगभग सात हजार मीट्रिक टन यूरिया किसानों काे बांटा जा चुका है और 11 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया अभी भी गोदामों में रखा है। फिर भी यूरिया का ऐसा संकट है, कि जिस किसान को 10 बोरे यूरिया की जरूरत है, उसे लाइनों में लगने के बाद पांच बोरे यूरिया दिया जा रहा है।
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