ब्रेकिंग
अडानी से लेकर मणिपुर तक… कांग्रेस ने बताया किन मुद्दों को संसद सत्र में उठाएगी जंगल से मिला लड़के का शव…रेत दिया गया था गला, पुलिस ने दो दोस्तों से की पूछताछ, एक ने लगा ली फांसी महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बाद सरकार बनाने की तैयारी तेज, BJP-शिवसेना-NCP की अलग-अलग बैठकें पत्थर तो चलेंगे… संभल बवाल पर बोले रामगोपाल यादव, अखिलेश ने कहा- सरकार ने जानबूझकर कराया पाकिस्तान से जंग में तीन बंकरों को कर दिया था नेस्तनाबूद , कहानी गाजीपुर के राम उग्रह पांडेय की झारखंड: जिस पार्टी का जीता सिर्फ एक विधायक, उसने भी बोला दे दूंगा इस्तीफा गाजियाबाद: डासना मंदिर के बाहर फोर्स तैनात, यति नरसिंहानंद को दिल्ली जाने से रोका, ये है वजह गूगल मैप ने दिया ‘धोखा’… दिखाया गलत रास्ता, पुल से नदी में गिरी कार, 3 की मौत 30 लाख की नौकरी छोड़ी, UPSC क्रैक कर बने IPS, जानें कौन हैं संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई? संभल: मस्जिद के सर्वे को लेकर 1 घंटे तक तांडव… फूंक दीं 7 गाड़ियां, 3 की मौत; बवाल की कहानी

ढाई साल बाद लौटी याददाश्त तो याद आया परिवार, कौन है मेले में बिछड़ी बच्ची की मां? कोर्ट ने बताया

यह कहानी एक मासूम बच्ची की है. एक ऐसी बच्ची जो मेले में अपने मां बाप से बिछड़ जाती है और रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने लगती है. यहां से एक कपल इस बच्ची को अपने घर ले जाते हैं और उसका पालन पोषण करते हैं. अचानक एक दिन इस बच्ची की अपने पुराने मां बाप की याद आती है और वह अपने असली मां बाप के पास पहुंच जाती है. इसके बाद बच्ची को जन्म देने वाली और उसका पालन करने वाली माताओं में लड़ाई होती है. मामला कोर्ट पहुंचता और फिर कोर्ट का फैसला आता है कि किसको इस बच्ची की मां होने का हक है. कहानी थोड़ी फिल्मी है, लेकिन है मजेदार.

मामला बिहार के नालंदा जिले में फतुहा गांव का है. इस गांव में रहने वाले जवाहर प्रसाद और उनकी पत्नी अंजू देवी अपनी 10 साल की बेटी रानी को लेकर ढाई साल पहले मेला घूमने गए थे. इसी दौरान भीड़ में कुछ ऐसा हुआ कि अंजू देवी का हाथ छूट गया और रानी उनसे बिछड़ गई. काफी खोजबीन करने के बाद जवाहर और अंजू तो घर लौट आई, लेकिन रानी भटकते भटकते रेलवे स्टेशन पहुंच गई. वहां उसे भूख लग गई तो वह लोगों से भीख मांगने लगी. मां-बाप से बिछड़ने के सदमे में रानी की यादाश्त भी चली गई.

भीख मांगते देख अपने घर ले गई मनिहारन

संयोग से पास के गांव हुसैनचक की रहने वाली एक मनिहारन महिला ने इस बच्ची को देखा तो उसे दया आ गई. वह इस बच्ची को लेकर अपने घर आई और उसे खाना खिलाया. चूंकि इस महिला को पहले से चार बच्चे थे, इसलिए उसके पति ने हंगामा खड़ा कर दिया, कहा कि इसे वहीं स्टेशन पर छोड़ कर आओ. ऐसे हालात में इस महिला ने इसी गांव की बेटी अंजली को दे दिया. अंजली की शादी भागनबीघा के रहने वाले इंदल बिंद के साथ हुई थी, लेकिन उसे कोई औलाद नहीं था. ऐसे में इंदल और अंजली ने रानी का नया नाम वैष्णवी रखा और उसका पालन पोषण करने लगे.

ढाई साल बाद लौटी बच्ची की यादाश्त

इंदल और अंजली ने गांव के सरकारी स्कूल में इस बच्ची का एडमिशन भी करा दिया. वैष्णवी के रूप में रानी ढाई साल तक यहां रही, इसी दौरान एक दिन स्कूल से लौटते समय उसकी यादाश्त वापस आ गई. इसके बाद वह बीच रास्ते से ही अपने असली मां बाप के पास चली गई. इधर, जब देर रात तक वैष्णवी घर नहीं पहुंची मतो इंदल और अंजली ने पुलिस में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी. अगले दिन पुलिस ने बताया कि उनकी बेटी तो फतुहा गांव में है. इस सूचना पर इंदल और अंजली फतुहा पहुंचे.

कोर्ट ने बताया- कौन है बच्ची की मां होने का हकदार

वहां जवाहर और अंजू ने बताया कि यह उनकी बेटी है और ढाई साल पहले बिछड़ गई थी. अब वापस मिली है. इस बात को लेकर दोनों माता-पिता के बीच विवाद हुआ और मामला कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने भी दोनों की बात गंभीरता से सुनी और दोनों की भावनाओं का मान रखा, लेकिन चूंकि रानी नाबालिग है, इसलिए भारतीय कानून का हवाला देते हुए कोर्ट ने उसे उसके असली मां बाप के पास भेज दिया है.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.