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महबूबा मुफ्ती नहीं लड़ेंगी विधानसभा चुनाव, PDP ने 17 उम्मीदवारों की जारी की सूची

जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ऐलान किया है कि वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. इसके साथ ही पीडीपी ने आगामी चुनावों के लिए बुधवार को मध्य और उत्तर कश्मीर के लिए 17 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए. पीडीपी की ओर से जारी सूची के अनुसार, मोहम्मद खुर्शीद आलम ईदगाह से, शेख गौहर अली जदीबल से, मोहम्मद इकबाल ट्रंबू चनापोरा से, बशीर अहमद मीर गांदरबल से, आगा सैयद मुंतज़िर मेहदी बडगाम से, एडवोकेट जाविद चौधरी सुरेंकोट से, एडवोकेट महरूफ खान मेंढर से, फारूक इंकलाबी गुलाबगढ़ से चुनाव लड़ेंगे.

इसी तरह से कालाकोट-सुंदरबनी से एडवोकेट सैयद माजिद शाह, नौशेरा से एडवोकेट हक नवाज, राजौरी से मास्टर तसादुक हुसैन, थन्नामंडी से एडवोकेट गुफ्तार अहमद चौधर, बांदीपोरा से सैयद तजामुल इस्लाम, लोलाब से एडवोकेट अब्दुल हक खान, वागूरा क्रेरी से बशारत बुखारी, और पट्टन से जावेद इकबाल गनई को उम्मीदवार बनया गया है.

इस बीच, महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी, क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में वह पार्टी के एजेंडे को पूरा करने में समर्थ नहीं हैं.

विधासनभा चुनाव लड़ने को लेकर महबूबा ने कही ये बात

उन्होंने कहा कि साल 2016 में वह बीजेपी की सरकार में मुख्यमंत्री थीं, उस दौरान उन्होंने 12 हजार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. मोदी सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अलगाववादियों से बातचीत के लिए पत्र भेजा था, लेकिन क्या वह वर्तमान में ऐसा कर पाएंगी?

उमर अब्दुल्ला ने पहले जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने रहने तक विधानसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लेने ऐलान किया था, लेकिन मंगलवार को32 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान उनकी पार्टी ने किया. उमर अब्दुल्ला गांदरबल से चुनाव लड़ेंगे. इस सीट से उन्होंने साल 2008 में जीत हासिल की थी.

बारामूला से लोकसभा सांसद शेख अब्दुल रशीद और अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह कोविधानसभा चुनाव से पहले जेल से रिहा किए जाने की संभावना का उन्होंने स्वागत किया. उन्होंने कहा कि कम से कम ऐसे लोगों को रिहा किया जाए, जो जमानत के हकदार हैं लेकिन उन्हें इससे इनकार कर दिया गया है.

जेल में बंद नेताओं को करें रिहा

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को जेल में डाला जा सकता है, लेकिन पर उनके विचारों पर रोक नहीं लगाया जा सकता है. लोकतंत्र विचारों की लड़ाई है, लेकिन शब्बीर शाह औरइंजीनियर राशिद को जेलों में बंद सभी लोगों के साथ रिहा किया जाना चाहिए जो जमानत के हकदार हैं लेकिन उन्हें वह राहत भी नहीं मिल रही है.

सरकार बार-बार जम्मू-कश्मीर में सुलह की प्रक्रिया शुरू करने की बात कह रही है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पहले जेलों के दरवाजे खोलें और सुलह की प्रक्रिया शुरूकरें.

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