ब्रेकिंग
नवादा अग्निकांड पर जातिवादी संग्राम… लालू ‘पाल’ तो मांझी हुए ‘शर्मा’, पीड़ितों की किसे है परवाह? तिरुपति प्रसादम विवाद गहराया, CM नायडू के आरोप के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची YSRCP 24 घंटे के लिए पुलिस हटा दो… बीजेपी के नितेश राणे ने एक बार फिर दिया विवादित बयान मुस्लिम इलाके को PAK बताने पर हाई कोर्ट के जज की बढ़ी मुश्किलें! SC ने लिया संज्ञान सेल्फगोल या स्ट्रैटजी…जम्मू-कश्मीर में चुनाव के बीच किंगमेकर बनने की बात क्यों कर रहीं महबूबा मुफ्ती... केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू की बढ़ी मुश्किल, राहुल गांधी के खिलाफ बयान देने पर बेंगलुरु में FIR दर्... PM मोदी का महाराष्ट्र दौरा कल, विश्वकर्मा कार्यक्रम में लेंगे हिस्सा, महिलाओं और युवाओं को देंगे बड़... राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किए बाबा महाकाल के दर्शन, मंदिर परिसर में लगाई झाड़ू राहुल गांधी को धमकी देने पर बिफरी कांग्रेस, महाराष्ट्र में किया प्रदर्शन, कहा-डर गई है BJP पहले महिला की पिटाई की, फिर चूहे मारने वाली दवा पिलाई… दहेज के लिए ससुराल वाले बने हैवान

गुना में नगर पालिका की टीम ने हटाया अतिक्रमण, दुकानदार हुए आक्रोशित

गुना: जिला अस्पताल का कायाकल्प करने के उद्देश्य से कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह के निर्देश पर शुक्रवार को एक बार फिर अतिक्रमण मुहिम चलाई गई। इस बार राजस्व विभाग और नगरपालिका की संयुक्त टीम ने कोतवाली के बायीं ओर जेसीबी चलाकर दर्जनों दुकानदारों को बेदखल कर दिया। इस कार्रवाई के बाद आक्रोशित दुकानदार पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच गए और प्रशासन पर सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी संकट में डालने का आरोप लगाकर अपने लिए वैकल्पिक दुकानों की मांग कर डाली। गौरतलब है कि कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह ने कुछ दिनों पहले ही जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस दौरान अस्पताल गेट के बाहर वाहनों की आवाजाही प्रभावित के चलते कलेक्टर ने प्रशासनिक अमले को भगत सिंह चौक से लेकर कोतवाली जाने वाले मार्ग पर जिला अस्पताल के दूसरे छोर तक संचालित अस्थाई दुकानों को हटाने के निर्देश दिए थे।

प्रशासनिक अमला भी आनन-फानन में पहुंच गया और तीन चरणों में इन दुकानों को हटा दिया गया है। शुक्रवार को हुई कार्रवाई के दौरान सबसे पहले तहसीलदार गौरीशंकर बैरवा ने अपने वाहन से लाउड स्पीकर के जरिए दुकानदारों को सामान समेटने की हिदायत दी। कुछ देर बाद ही नगरपालिका की जेसीबी ने एक के बाद एक लोहे की चादरों से बनाई गई दुकानों को बेहरमी से रौंद डाला। हालांकि इस कार्रवाई के बाद बेदखल किए गए दुकानदारों में आक्रोश है। उनका तर्क है कि साल 1995 में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों ने ही उन्हें जगह आवंटित की थी। अब बिना सूचना के दुकानदारों को बेदखल करने से उनके परिवारों पर जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।

 दुकानदारों ने जिला प्रशासन को सुझाव दिया कि अगर आगावमन की दृष्टि से अतिक्रमण हटाया जाना आवश्यक है तो बेहतर होगा कि उसी स्थान पर दुकानों को पीछे खिसकाकर पक्का निर्माण करा दिया जाए। इससे गली भी चौड़ी हो जाएगी और दुकानदारों की रोजी रोटी भी नहीं छिनेगी। हालांकि इस सुझाव पर अब तक जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.