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लखनऊ हादसा: 2010 में नक्शा पास, 2016 में बनकर तैयार; कहानी उस बिल्डिंग की जहां ‘दफन’ हो गईं 8 जिंदगियां

लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित जिस इमारत में हादसा हुआ है, वह महज 8 साल पहले ही बनी थी. इसके निर्माण के लिए विधिवत योजना बनी थी और इस योजना के मुताबिक लखनऊ विकास प्राधिकरण से साल 2010 में नक्शा भी पास हुआ था. इसके बाद अगले ही साल यानी साल 2011 में इस इमारत का निर्माण कार्य शुरू हुआ और साल 2015-16 में यह इमारत बन कर तैयार हो गई. इस इमारत की गुणवत्ता जांच के बाद प्राधिकरण से साल 2020 में कंपलीशन सार्टिफिकेट दे दिया.

इसके बाद से ही इस इमारत को किराए पर दिया गया है. भवन निर्माण नियमावली के सभी नियमों का पालन होने के बादवजूद भी यह इमारत दस साल भी अपनी नींव पर खड़ी नहीं रह पायी. सवाल इमारत के ढांचे को लेकर उठा है. इसके चलते अब खुद लखनऊ विकास प्राधिकरण की कार्यप्रणाली भी घेरे में आ गई है. हादसे के तत्काल बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मामले की जांच शुरू कर दी गई है. बता दें कि शनिवार के यह तीन मंजिली इमारत भरभराकर गिर गई.इस हादसे में इमारत के अंदर काम कर रहे 8 लोगों की मौत हो गई.

कुमकुम सिंघल के नाम जारी हुआ था नक्शा

वहीं, 28 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक इस भवन का नक्शा आलमबाग के समर विहार निवासी कुमकुम सिंघल ने 31 अगस्त 2010 को पास कराया था. इसके लिए प्राधिकरण ने परमिट संख्या-29474 जारी किया था. प्राधिकरण के लिए प्रवर्तन जोन-2 के जोनल अधिकारी अतुल कृष्ण सिंह के मुताबिक इस इमारत के निर्माण का काम पूरा हो चुका था. आशंका है कि 1000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बनी इस इमारत के निर्माण में लापरवाही बरती गई. बड़ा सवाल यह कि जब लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने क्वलिटी चेक करते समय इस गड़बड़ी की अनदेखी क्यों की.

प्राधिकरण में नहीं मिली संबंधित फाइल

मामला तूल पकड़ते देख एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने रात में ही दफ्तर पहुंच गए. उन्होंने उसी समय योजना विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी दफ्तर में बुला लिया और पूरी रात इस इमारत का नक्शा पास कराने से लेकर प्रवर्तन टीम द्वारा की गई कार्रवाई की पड़ताल की. प्राधिकरण सूत्रों के मुताबिक इस संबंध कई जरूरी फाइलें प्राधिकरण कार्यालय में नहीं मिली हैं. एलडीए के उप सचिव अतुल कृष्ण सिंह ने बताया कि इमारत का निर्माण कार्य पूरा हो चुका था. अब यह देखा जा रहा है कि क्वालिटी चेक के बाद इमारत मालिक को कोई नोटिस जारी हुई थी कि नहीं.

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