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सिस्टीन हेयर ट्रीटमेंट क्या है? जानें केराटिन और इसमें क्या है अंतर

आजकल लोग झड़ते और रूखे बालों की समस्या से बहुत परेशान रहते हैं. बिगड़ते लाइफस्टाइल, प्रदूषण, अनहेल्दी खाना, शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी, मेडिसिन या फिर किसी बीमारी के कारण बालों से जुड़ी समस्या हो सकती है. ऐसे में समस्या का पता लगाकर ही ट्रीटमेंट करना चाहिए. लेकिन प्रदूषण और लाइफस्टाइल के कारण भी बाल खराब हो सकते हैं.

इसे ठीक करने के लिए कई लोग महंगे-महंगे हेयर प्रोडक्ट्स और ट्रीटमेंट अपनाते हैं. आपने भी कई तरह के हेयर प्रोडक्ट्स और ट्रीटमेंट के बारे में सुना होगा है. बहुत से लोग बालों को सॉफ्ट और हेल्दी बनाने के लिए केराटिन और बोटॉक्स जैसे ट्रीटमेंट करवाते हैं. लेकिन हेयर ट्रीटमेंट की लिस्ट में सिस्टीन हेयर ट्रीटमेंट भी शामिल है.

सिस्टिन ट्रीटमेंट

डॉक्टर आंचल पंथ ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की है जिसमें उन्होंने बताया है कि सिस्टिन बालों के आकार को बदलने यानी की रूखे बालों को सॉफ्ट और शाइनी बनाने में मददगार साबित हो सकता है. इसमें ग्लाइकोक्सिलिक एसिड, सिस्टीन और एसिटिक एसिड का उपयोग किया जाता है. ये ट्रीटमेंट बालों की जड़ों के लिए कम हानिकारक है लेकिन कम समय तक चलता है और इसमें खर्च ज्यादा आता है. ये लगभग केराटिन के समान ही होता है.

केराटिन और दूसरे स्ट्रेटनिंग ट्रीटमेंट की तुलना में सिस्टीन काफी सुरक्षित माना जाता है. ये आपको बालों को नेचुरल स्ट्रेस लुक देने में मदद करता है. अगर आप घुंघराले या रूखे बालों से छुटकारा पाने के लिए हेयर ट्रीटमेंट करवा रहे हैं तो जान लें ये ट्रीटमेंट काफी कम समय तक रहता है. ये 12 से 16 सप्ताह के अंदर फीका पड़ने लगता है.

सिस्टिन और केराटिन

केराटिनएक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो स्किन और नाखून के साथ ही बालों को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है. वहीं सिस्टेन एक तरह का अमीनो एसिड होता है, जोकेराटिनको बनाने में मदद करता है.

बालों को हेल्दी बनाने के लिए सबसे पहले उनके डैमेज होने के कारण का पता लगाएं. अगर आपके बाल पहले से बहुत ज्यादा डैमेज हैं तो सबसे पहले एक्सपर्ट की सलाह लें उसके बाद ही हेयर ट्रीटमेंट करवाएं. क्योंकि केराटिन, सिस्टीनऔर बॉटोक्स जैसे हेयर ट्रीटमेंट में कई तरह के केमिकल और बालों पर हीट का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे आपके डैमेज बालों को नुकसान भी पहुंच सकता है.

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