ब्रेकिंग
जान्हवी कपूर या खुशी कपूर, दोनों बहनों में से किसका बॉयफ्रेंड है ज्यादा अमीर? बच्ची की बलि, सीना चीरकर निकाला दिल, बिना कपड़ों में तंत्र पूजा; सिद्धी पाने के लिए कातिल बनी मां देश को आजादी दिलाने में सिर्फ एक पार्टी या एक परिवार नहीं, आदिवासी समाज का भी बड़ा योगदान: PM मोदी दिल्ली में अमित शाह ने किया बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण, वजन 3 हजार kg महाराष्ट्रः औरंगाबाद की 2 सीटों पर जीत को लेकर ऐसे ही कॉन्फिडेंट नहीं हैं ओवैसी, 5 महीने पहले ही मिल... पप्पू यादव को धमकी देने का मामला निकला फर्जी, किसी और को फंसाने के लिए रची साजिश इसके साथ ही जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण का संचालन शुरू करने की कवायद तेज हो गई है. जेवर एयरपोर्ट का 39... नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंडिंग टेस्टिंग टली, जानें अब कितना करना पड़ेगा इंतजार? ‘हिंदू विरोधियों के साथ रहे अजित’, मतदान से ठीक पहले क्यों ‘बंट’ गए फडणवीस और पवार? कार्तिक पूर्णिमा पर जाम हो गया पटना, दीघा में गाड़ियों की कतार, सड़क पर रेंगते दिखे वाहन

मध्य प्रदेश में सीसीएफ के रिटायरमेंट के 10 दिन बाद उनके सिग्नेचर से ट्रांसफर!

इंदौर। इंदौर वृत्त में आने वाले इंदौर-धार और झाबुआ वनमंडल में पदस्थ वनकर्मियों के तबादले इन दिनों चर्चा में हैं। हुआ यूं है कि जिस अधिकारी के हस्ताक्षर से ये तबादला आदेश 10 सितंबर को जारी हुए, वह अधिकारी तो इसके 10 दिन पहले 31 अगस्त को ही सेवानिवृत्त हो चुके थे। अब वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी हैरान हैं कि सेवानिवृत्ति के दस दिन बाद पुरानी तारीख पर आदेश कैसे निकाले गए? इन तबादलों पर अब विवाद खड़ा हो गया है।

यहां तक कि मामले की शिकायत वन विभाग के भोपाल स्थित मुख्यालय तक पहुंच गई है। दरअसल, इंदौर वृत्त में तीन वर्ष सीसीएफ रहने के बाद नरेंद्र सनोड़िया 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद इंदौर वृत्त में नौ और 10 सितंबर को कई वनकर्मियों के तबादला आदेश जारी हुए।

इन पर तत्कालीन सीसीएफ सनोड़िया के हस्ताक्षर हैं। कोई सवाल न खड़ा हो, इसलिए बैकडेट में आदेश बनाए गए। यह सब तब हुआ जबकि तबादलों पर रोक लगी है, जो कि अक्टूबर में हटने वाली है। एक गड़बड़झाला यह भी है कि जिनके तबादला आदेश जारी हुए हैं, उनका छह महीने पहले ही तबादला हुआ था।

विदाई समारोह और पार्टी पर सवाल

पूर्व सीसीएफ नरेंद्र सनोड़िया की सेवानिवृत्ति के बाद उनकी विदाई में इंदौर से लेकर धार वनमंडल में समारोह जोर-शोर से विदाई समारोह आयोजित किए गए। इंदौर के तेजाजी नगर स्थित रिसोर्ट में पार्टी भी रखी गई। इन पार्टियों और कार्यक्रमों की चर्चाएं भोपाल मुख्यालय तक पहुंच गईं। सूत्र कहते हैं कि इन पार्टियों को आयोजित करने वाले इन तबादला आदेश से उपकृत हुए हैं।

जरा-सी दूरी 
में लग गए 
10 दिन?

प्रश्न यह उठ रहा है कि इंदौर वृत्त कार्यालय से निकले तबादला आदेश को इंदौर-चोरल, मानपुर व धार वनमंडल पहुंचने में क्या दस दिन का समय लग गया? दरअसल, आदेश पर तारीख अगस्त की है, जबकि आदेश जारी 10 सितंबर को हुए। ऐसे में प्रश्न उठा है कि क्या तबादला आदेश एक से दूसरे सरकारी दफ्तर पहुंचने में 10 दिन लग गए?

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.