एक इस्तीफा और कई निशाने, केजरीवाल ने कैसे नया नैरेटिव सेट कर दिया?
दिल्ली आबकारी नीति मामले में करीब छह महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत पर जेल से बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. केजरीवाल ने रविवार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिन बाद मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं, जब तक जनता मुझे चुनकर दोबारा सीट पर नहीं भेजती, मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा. यह फैसला भले ही सभी को सरप्राइज लग रहा हो, लेकिन ये उनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. केजरीवाल ने एक इस्तीफे से कई सियासी निशाना साधने का बड़ा दांव चला है, लेकिन देखना होगा कि यह फैसला क्या उनके लिए सियासी नैरेटिव सेट कर पाएगा.
भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हुए अन्ना आंदोलन से आम आदमी पार्टी निकली है. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लोग खुद को ईमानदार बताते रहे हैं. ऐसे में दिल्ली शराब नीति मामले को लेकर बीजेपी नेता लगातार आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की छवि पर सवालिया निशान खड़े कर रही थी और केजरीवाल का इस्तीफा मांग रही थी. अब जब इस मामले में ईडी-सीबीआई ने आम आदमी पार्टी के नेताओं समेत अन्य जितने भी लोगों को गिरफ्तार किया था, उनमें से ज्यादातर को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. ऐसे में आम आदमी पार्टी जनता के बीच यह परसेप्शन बनाने की कवायद में है कि शराब नीति से जुड़े मामले में कई झोल हैं और इस केस में नेताओं को फंसाने की कोशिश की गई है.
‘ईमानदार या गुनहगार’
अरविंद केजरीवाल ने कहा भी कि मेरे पास मेरी ईमानदारी के अलावा कुछ और नहीं है, मेरे बैंक खाते खाली हैं, मैं आयकर विभाग के कमिश्नर की नौकरी छोड़कर झुग्गियों में रहा था. मेरे अंदर देश की सेवा करने का जुनून था, मुझे ना पद का लालच है और ना ही दौलत का लालच है. मेरे अंदर देश और समाज की सेवा करने का जुनून है. मैं जनता से पूछने आया हूं कि आप केजरीवाल को ईमानदार मानते हो या गुनहगार. अब जब तक दिल्ली की जनता अपना फैसला नहीं सुना देती है तब तक मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा. इस तरह आम आदमी पार्टी अपनी ईमानदारी की छवि वाले नैरेटिव को सेट करने का प्लान बनाया है.
सोची-समझी रणनीति का हिस्सा
सुप्रीम कोर्ट ने कई शर्तों पर अरविंद केजरीवाल को जमानत दी है. वह अपने दफ्तर या सचिवालय नहीं जा सकते हैं. वह उन्हीं फाइलों पर साइन कर सकते हैं, जिनको आगे अप्रूवल के लिए उपराज्यपाल को भेजी जानी है. इस तरह केजरीवाल को अभी दिल्ली में अपने मन मुताबिक और आजादी के साथ काम करने का बहुत ज्यादा स्कोप नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में केजरीवाल इस्तीफा और विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर जल्द चुनाव कराना चाहते हैं. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि दिल्ली में चुनाव फरवरी 2025 के बजाय नवंबर 2024 में कराए जाएं. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में कराने के बजाय इसी साल नवंबर में महाराष्ट्र के चुनाव के साथ ही कराया जाए.
इस्तीफे से जाएगा अच्छा मैसेज
आम आदमी पार्टी को अपना फायदा होने की उम्मीद दिख रही है. केजरीवाल के साथ-साथ मनीष सिसोदिया ने भी अब चुनाव तक कोई पद ना लेने का निर्णय लिया है. इस तरह बीजेपी को भी अब नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ेगी, क्योंकि वह अभी तक 2025 के लिहाज से चुनाव की प्लानिंग कर रही थी. केजरीवाल अब महाराष्ट्र और झारखंड की सियासी तपिश के साथ दिल्ली का चुनाव करा लेना चाहते हैं ताकि बीजेपी महाराष्ट्र जैसे राज्य में उलझी रहेगी और दिल्ली विधानसभा चुनाव पर उस तरह फोकस नहीं कर सकेगी. इसका सियासी फायदा आम आदमी पार्टी को मिलेगा. केजरीवाल को यह लग रहा है कि उनके इस्तीफे से जनता के बीच एक अच्छा मैसेज जाएगा, जिसका दूरगामी लाभ उन्हें और आम आदमी पार्टी को मिलेगा.
AAP को दूसरों से अलग बताने का प्लान
कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने खुद ही इस्तीफे की पेशकश करके बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस को भी हैरत में में डाल दिया है. केजरीवाल ऐसे समय जेल से बाहर आए हैं, जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं. केजरीवाल खुद हरियाणा से आते हैं. ऐसे में सीएम पद से इस्तीफे के बाद केजरीवाल हरियाणा की जनता के बीच भी यह मैसेज देगी कि आम आदमी पार्टी दूसरों से अलग है और केजरीवाल को पद का लालच नहीं है. भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, तो इसका फैसला जनता की अदालत में होगा.
हरियाणा में भी खेलेंगे सियासी पिच
लोकसभा चुनाव के दौरान अदालत से जमानत मिलने पर कुछ दिनों के लिए बाहर आए केजरीवाल ने अलग नैरेटिव ही सेट कर दिया था. बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं को सफाई देने के लिए उतरना पड़ा था, जब उन्होंने यह कहा था कि नरेंद्र मोदी अगर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ गए तो योगी आदित्यनाथ को यूपी के सीएम पद से हटा देंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कई बड़े सियासी दांव चले थे. इसका यूपी की सियासत पर भी असर पड़ा था. माना जा रहा है कि इसी तरह हरियाणा में भी अरविंद केजरीवाल अब खुलकर सियासी पिच पर खेलते हुए नजर आएंगे.
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