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लोथल में बनेगा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर… PM मोदी ने बताया पर्यटन और इकोनोमी के लिए जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के प्रमुख शहर लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के निर्माण को मंजूरी मिलने पर प्रसन्नता जताई है. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस संबंध में अपनी भावनाएं व्यक्त की. उन्होंने लिखा कि मुझे यहां के उल्लेखनीय विकास के बारे में जानकारी प्राप्त करके प्रसन्नता हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोथल में एक राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के निर्माण को मंजूरी दी है, यह क्षेत्र के विकास से साथ विरासत के संरक्षण की दिशा में अहम है. उन्होंने लिखा कि यहां की उन्नत इंजीनियरिंग और शहरी नियोजन व्यवस्था आधुनिक पर्यवेक्षकों को चकित कर देती है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी इस पोस्ट में लोथन की प्राचीनता, इसकी भौगोलिक अहमियत के बारे में भी विस्तार से लिखा है. उन्होंने लिखा कि अहमदाबाद के पास स्थित लोथल दुनिया में प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति को लेकर विख्यात है. यह इतिहस में सभ्यताओं और विचारों का संगम स्थल रहा है. यह एक महत्वपूर्ण समुद्री केंद्र है. हजारों साल पहले के हमारे पूर्वजों की प्रतिभा की निशानियां हैं.

हमने अपने इतिहास को भुला दिया

प्रधानमंत्री मोदी ने इसी के साथ अफसोस जताया कि आजादी के बाद के कई दशकों में हमने अपने इतिहास के कई पहलुओं और ऐतिहासिक स्थलों को अपने हाल पर छोड़ दिया, जिससे हमारा समृद्ध अतीत स्मृति से लुप्त हो गया. लेकिन पिछले दस साल से इस प्रवृत्ति में बदलाव आ रहा है. इसी परिणाम है कि हमारी सरकार ने एक जीवंत राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर बनाने का निर्णय लिया है.

पर्यटकों में आएगा नया उत्साह

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नई परियोजना इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के बीच उत्साह जगाएगी. इस परिसर के केंद्र में एक प्रतिष्ठित लाइटहाउस संग्रहालय होगा, जो 77 मीटर ऊंचा होगा. यह अपनी तरह का दुनिया का सबसे ऊंचा संग्रहालय होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि इस तरह के प्रयास से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. जब पर्यटन बढ़ता है, तो आय में वृद्धि होती है.

पर्यटन प्रेमियों से सुझाव भी मांगे

उन्होंने इसी के साथ लोगों से यहां आने, पर्यटन क्षेत्र का आनंद उठाने की भी अपील की. पीएम ने इसी के साथ पर्यटन प्रेमियों से सुझाव भी मांगे. यहां की धरोहर और संस्कृति नई पीढ़ी को सीखने का अवसर देती है. लोथल 2400 ईसापूर्व शहर माना जाता है. इसकी खोज सन् 1954 में हुई थी.

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