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370 की बहाली पर चुप्पी, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा, जानें उमर अब्दुल्ला की रणनीति

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत हासिल की और उमर अब्दुल्ला दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट की बैठक में केंद्रशासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. शनिवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कैबिनेट की ओर से पारित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

इस तरह से सरकार गठन के चंद दिनों के भीतर ही उमर अब्दुल्ला ने पूर्ण राज्य का दर्जा देने के वादे की ओर कदम बढ़ा दिया है. अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उमर अब्दुल्ला कैबिनेट की ओर से पारित पूर्ण राज्य के दर्जा के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का रूख क्या होता है?

क्योंकि जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा की बहाली के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करना होगा. इसी अधिनियम द्वारा जम्मू कश्मीर को दो भागों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था और केंद्रशासित राज्य का दर्जा दिया गया था. इसके साथ दी अनुच्छेद 370-35ए हटा दिए गए थे.

इसके लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा में पारित करना होगा और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बनेगा. तब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा फिर से मिल पाएगा.

पूर्ण राज्य के दर्जा की ओर उमर ने बढ़ाया कदम

ऐसे में जम्मू-कश्मीर में सत्ता में लौटने के बाद उमर अब्दुल्ला ने चुनावी वादे के अनुरूप पूर्ण राज्य के दर्जा देने के वादे को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने की पहली प्रक्रिया पूरी कर ली है. हालांकि अब यह देखना अहम होगा कि वह कैसे केंद्र सरकार को इसके लिए राजी करते हैं?

वैसे उमर अब्दुल्ला का जल्द ही नई दिल्ली का दौरा प्रस्तावित है. इस दौरे के दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्र सरकार के आला मंत्रियों से मुलाकात हो सकती है. वह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे.

बता दें कि केंद्र सरकार ने पहले ही जम्मू-कश्मीर को लेकर अपना टारगेट घोषित कर चुकी है. पहले परिसीमन, फिर चुनाव और और फिर पूर्ण राज्य देने का दर्जा. परिसीमन और चुनाव हो चुके हैं. उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नई सरकार का भी गठन हो चुका है. ऐसे में अब पूर्ण राज्य का दर्जा बाकी है. उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट ने पूर्ण राज्य के प्रस्ताव को पारित कर दिया है. जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए थे.

धारा 370 की बहाली पर उमर ने साधी चुप्पी

हालांकि जम्मू-कश्मीर की कैबिनेट ने पूर्ण राज्य के दर्जा का प्रस्ताव पारित किया है, लेकिन धारा 370 की बहाली को लेकर उमर अब्दुल्ला से लेकर कैबिनेट सभी चुप्पी साधे हुए हैं और इस चुप्पी के लिए उन्हें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) जैसी पार्टियों का आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है. इन पार्टियों का आरोप है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस चुनाव से पहले किये गये वादे से मुकर रही है और 370 पर चुप्पी साध ली है.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उमर अब्दुल्ला की सरकार फिलहाल 370 की बहाली का मसले को टच नहीं करना चाहती है, क्योंकि इससे उनकी सरकार का केंद्र सरकार से टकराव होगा और वह केंद्र सरकार से फिलहाल टकराव में जाने के पक्षधर नहीं है और आपसी सहमति से शासन करना चाहते हैं.

मिलकर लड़ा चुनाव, पर सरकार में शामिल नहीं कांग्रेस

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 सीटों में से 42 पर जीत हासिल कर पूर्ण बहुमत हासिल किया है, जबकि सहयोगी पार्टियों कांग्रेस को छह और सीपीआई (एम) को मात्र एक सीट मिली है. वहीं, भाजपा को 29 सीटें मिली हैं और ज्यादातर सीटें जम्मू में ली हैं. हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव के बाद उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बन गयी, लेकिन कांग्रेस ने सरकार से अपने को अलग कर लिया और बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया है.

उमर का रूख हुआ नरम, हिंदू का बनाया उपमुख्यमंत्री

जम्मू-कश्मीर के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उमर अब्दुल्ला का रूख भी नरम हुआ है. वह अपने भाषणों में काश्मीरी पंडितों के अधिकारों का जिक्र कर रहे हैं और जम्मू और कश्मीर को साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं. पार्टी के हिंदू विधायक सुरिंदर चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.

शनिवार को उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार जम्मू संभाग का दौरा भी किया. दौरे के दौरान उन्होंने साफ कहा कि वह केंद्र शासित प्रदेश के दोनों संभागों के नागरिकों के चेहरों से गायब मुस्कान का वापस लाना चाहते हैं.

जम्मू और कश्मीर को साथ लेकर चलने की कोशिश

उन्होंने सुरिंदर चौधरी को उपमुख्यंमत्री बनाने का यह संदेश देने की कोशिश की और इस आरोप को खारिज करने का प्रयास किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस केवल मुस्लिमों की पार्टी है. वह प्रदेश की जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी सरकार पूरे देश की सरकार है. किसी एक संभाग की नहीं.

उन्होंने साफ कहा कि चुनाव में जीत के बाद ये आरोप लगाये गये थे कि चूंकि उनकी पार्टी को जम्मू में सीटें नहीं मिली हैं. इस कारण इस इलाके के लोगों को दंडित किया जाएगा, लेकिन उनकी सरकार सभी को साथ लेकर चलेगी, जो उनकी पार्टी और गठबंधन को वोट दिया है या नहीं.

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