उद्धव के शिवसैनिकों के सामने डबल चैलेंज, वोट मांगते वक्त करना पड़ रहा एक और काम
महाराष्ट्र में 45 साल बाद शिवसेना के नाम से दो पार्टी सिंबल है. एक सिंबल एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास है. शिंदे को शिवसेना का मूल सिंबल तीन कमान मिला हुआ है. वहीं दूसरा सिंबल उद्धव की पार्टी के पास है. उद्धव की पार्टी के पास मशाल चुनाव चिन्ह है.
महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर क्लोज फाइट से मात खाए उद्धव इस बार सिंबल को लेकर सजग हैं. पार्टी चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा सिंबल बताने पर फोकस कर रही है.
लोगों को बता रहे मशाल मतलब शिवसेना
शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार और कार्यकर्ता लोगों के बीच मशाल चुनाव चिन्ह का प्रचार कर रहे हैं. कार्यकर्ता लोगों को यह बता रहे हैं कि मशाल मतलब असली शिवसेना है. उद्धव ठाकरे कई बार मंच से इस नारा को खुद भी लगा चुके हैं.
नेता इस दौरान बगावत की बात कर उद्धव के पक्ष में इमोशनल ग्राउंड भी तैयार कर रहे हैं. 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत हुई थी. इस बगावत की वजह से उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी.
विधायक उम्मीदवार खुद कर रहे निगरानी
मराठवाड़ा के 3 विधायक बगावत के वक्त उद्धव के साथ रहे. तीनों को इस चुनाव में टिकट दिया गया है. उदयसिंह राजपूत को कन्नड, कैलास पाटिल को धाराशिव-कालंब और राहुल पाटिल को परभणी से उम्मीदवार बनाया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए उदयसिंह राजपूत कहते हैं- कोविड-19 महामारी के दौरान ठाकरे ने जो काम किए थे, उन कार्यों के कारण लोगों में उनकी छवि अच्छी है.
उन्होंने आगे कहा कि हम अब कन्नड में अपने चिह्न मशाल के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए आक्रामक तरीके से काम कर रहे हैं.
इसी तरह धाराशिव से उम्मीदवार कैलास पाटिल के मुताबिक बीजेपी से गठबंधन न होना एक राहत की बात है. पाटिल के मुताबिक पिछले चुनाव में बीजेपी के लोग कागज पर हमारे साथ थे, लेकिन विरोध में काम कर रहे थे.
कैलास पाटिल आगे कहते हैं- इस बार सिंबल बदल गया है. लोकसभा में हमने लोगों को बताया. कई जगहों पर फायदा भी मिला. हमने तय किया है कि विधानसभा में आक्रामक तरीके से इसका प्रचार करेंगे.
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