46 सीटों पर बागियों के भरोसे सपा, इस फॉर्मूले से झारखंड में साइकिल दौड़ाएंगे अखिलेश यादव
झारखंड चुनाव से भले ही अखिलेश यादव ने दूरी बनाकर रखी हो, लेकिन उनकी समाजवादी पार्टी यहां साइलेंट स्ट्रैटजी के सहारे खेल करने की तैयारी में है. वोट बढ़ाने और साइकिल को झारखंड में मजबूत करने के लिए सपा 2 रणनीति पर काम कर रही है. सपा ने झारखंड में जहां 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. वहीं पार्टी उन दिग्गजों को साध रही है, जो इंडिया और एनडीए गठबंधन की तरफ से टिकट न मिलने पर निर्दलीय लड़ने को ताल ठोक रहे हैं.
2019 में मिले थे 16 हजार वोट
2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारा था. इनमें जामताड़ा और मधुपुर की मुस्लिम बाहुल्य सीटें प्रमुख थीं. समाजवादी पार्टी को किसी भी सीट पर न तो जीत मिली और न ही जमानत बची. हालांकि, पूरे चुनाव में पार्टी को 16 हजार वोट जरूर मिले.
इस चुनाव में शिवपाल यादव की पार्टी ने भी उम्मीदवार उतारा था. शिवपाल की पार्टी को पूरे चुनाव में करीब 5 हजार वोट मिले थे. दोनों का वोट अगर मिला दिया जाए तो यह 20 हजार के पार पहुंच जाता है.
सपा की कोशिश इस बार वोट को इजाफा करना है. सपा इसी हिसाब से रणनीति तैयार कर रही है.
46 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी सपा
झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं, जिसमें से 46 सीटों पर अखिलेश यादव की पार्टी इस बार उम्मीदवार उतारेगी. मनिका, विश्रामपुर और गढ़वा जैसी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पार्टी ने ऐलान भी कर दिए हैं.
सपा में सिंबल बांटने और उम्मीदवार फाइनल का जिम्मा झारखंड के प्रभारी व्यासजी गोंड और प्रदेश अध्यक्ष रंजन यादव के पास है. सपा उन सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है, जहां यादव और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है.
सपा ने समझौते के तहत इंडिया गठबंधन से 11 सीटों की मांग की थी, लेकिन झामुमो और कांग्रेस ने मांग को सिरे से खारिज कर दिया था.
चुनाव लड़ने के लिए अपना रहे ये फॉर्मूला
अखिलेश की पार्टी झारखंड में चुनाव लड़ने के लिए जो सबसे बड़ा फॉर्मूला अपना रही है, उसमें दिग्गजों को साधना है. सपा उन दिग्गजों को साध रही है, जो दूसरी बड़ी पार्टी से नाराज चल रहे हैं. गढ़वा सीट पर सपा ने गिरिनाथ सिंह को उतारा है. गिरिनाथ लालू की पार्टी से सिंबल चाहते थे, लेकिन सीट जेएमएम के खाते में चली गई.
गिरिनाथ गढ़वा सीट पर विधायक रह चुके हैं. 2014 में उन्हें 53 हजार वोट मिले थे. इसी तरह पलामू लोकसभा सीट से 2024 के चुनाव में आरजेडी उम्मीदवार रही ममता भुइयां ने भी सपा का दामन थाम लिया है.
ममता को सपा पलामू प्रमंडल की किसी सीट से उतार सकती है. लोकसभा चुनाव में ममता को 4 लाख 81 हजार वोट मिले थे. इसी तरह विश्रामपुर सीट पर अंजू सिंह को सपा ने उम्मीदवार बनाया है. अंजू 2014 के चुनाव में यहां से दूसरे नंबर पर रह चुकी हैं.
अखिलेश खुद दूरी बनाकर कर रहे खेल?
झारखंड के चुनावी समर में जहां सपा उम्मीदवार उतार रही है. वहीं पार्टी के बड़े नेता झारखंड से दूरी बनाकर चल रहे हैं. चुनावी राज्य महाराष्ट्र का अखिलेश ताबड़तोड़ दौरा कर चुके हैं, लेकिन झारखंड में अब तक एक बार भी नहीं गए हैं.
कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन के मजबूती को देखते हुए अखिलेश झारखंड से दूरी बनाकर चल रहे हैं. अखिलेश की कोशिश यहां से सिर्फ वोट बढ़ाने से है, जिससे सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा आसानी से मिल सके.
चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उससे ज्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है. इसके अलावा पार्टी को सीटों और वोटों के इन 4 पैमाने में से किसी एक को पूरा करना होता है.
1. इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं.
2. या तो उस पार्टी के कम से कम चार उम्मीदवार किसी राज्य या राज्यों से सांसद चुने जाएं.
3. संबंधित पार्टी कम से कम चार राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल कर ले.
4. लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम दो प्रतिशत सीटों पर 3 राज्यों में जीत दर्ज करे.
अखिलेश लंबे वक्त से समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने की कवायद में जुटे हैं. उन्होंने इसको लेकर कई बार अपील भी की है. इंडिया गठबंधन में होने और अन्य राज्यों में मजबूत संगठन न रहने की वजह से अब साइलेंट रणनीति के तहत ही सपा काम कर रही है.
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