धनतेरस पर ब्रह्म मुहूर्त में खुले महालक्ष्मी मंदिर के पट, भक्तों में बांटी जा रही समृद्धि की पोटली
रतलाम। दीपोत्सव के लिए भक्तों द्वारा दी गई नगदी, जेवर आदि से मध्य प्रदेश के रतलाम में माणकचौक स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर में श्रृंगार पूरा हो गया। धनतेरस पर मंगलवार सुबह करीब 4:30 बजे ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोले दिए गए।
भक्त भाई दूज तक लगातार दर्शन कर सकेंगे। इससे पहले सोमवार देर रात तक श्रृंगार का कार्य चलता रहा। खास बात यह है कि मंदिर से चार साल बाद समृद्धि पोटली (कुबेर पोटली) का वितरण भी सुबह छह बजे से शुरू हो गया।
भक्तों के दिए आभूषणों से होता है मां का श्रृंगार
महालक्ष्मी मंदिर में हर साल श्रद्धालु अपनी ओर से श्रृंगार के लिए सामग्री देते हैं, जो भाई दूज के बाद वापस कर दी जाती है। नोटों, जेवरों, हीरे-मोती, रत्न आदि से होने वाले विशेष श्रृंगार को देखने देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके चलते मंदिर में सुरक्षा के भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं।मंदिर परिसर में खास तौर पर गर्भगृह को विशेष रूप से सजाया जाता है।
कैसे बनती हैं समृद्धि की पोटलियां
मंदिर में समृद्धि पोटलियों को संतों व विद्ववत ब्राह्मणजन द्वारा गणेश अथर्वशीर्ष, श्री सुक्त का पाठ कर मंत्रोच्चार कर अभिमंत्रित किया गया। स्वामी देवस्वरूप महाराज (अखंड ज्ञान आश्रम) स्वामी सुजानजी महाराज, नीलभारतीजी महाराज, महर्षि संजयशिवशंकर दवे, स्वामी राजेन्द्रजी पुरोहित, पं. चेतन शर्मा, पं. जितेंद्र नागर , पं. प्रकाश शर्मा, पं. जीवन पाठक, पं. शैलेन्द्र ओझा, पं.संजय मिश्रा, पं.अशोक, पं.ओमप्रकाश शर्मा, पं.वशिष्ठ, पं.नारायण व्यास सहित गुरुकुल के बटुक विद्यार्थी मौजूद रहे।
मंदिर समिति, व्यापारी समिति व श्रीमाली ब्राह्मणसमाजजन ने शृंगार सहित अन्य व्यवस्थाएं संभाली। श्रीमाली ब्राह्मणसमाज के सचिव कुलदीप त्रिवेदी ने बताया कि मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त में पट खुलने के बाद पौने छह बजे आरती होगी। आरती में कलेक्टर राजेश बाथम शामिल होंगे। इसके बाद छह बजे से समृद्धि पोटली का वितरण किया जाएगा।
समृद्धि पोटली में यह सामग्री
मान्यता है कि मंदिर से मिलने वाली समृद्धि पोटली (कुबेर पोटली) को तिजोरी में रखने से वर्षभर व्यापार, घर, परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। श्रृंगार सामग्री भी इसी भाव से श्रद्धालु देते हैं। पोटली में एक सीपी, कोडी, एक रुपये का सिक्का, कमल गट्टा, छोटा शंख, अक्षत होते हैं जो लच्छे से बंधे लिफाफे में होते हैं।
नहीं आएंगे सीएम
धनतेरस के दिन मुख्यमंत्री मोहन यादव के रतलाम आने का कार्यक्रम तय हुआ था। इसके चलते सोमवार को दिन भर कलेेक्टर राजेश बाथम, एसपी अमित कुमार तैयारियों में लगे रहे। दोपहर में सीएम का दौरा निरस्त होने की जानकारी मिलने के बाद मंदिर में सजावट का क्रम भी बदला गया।
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