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समय से पहले ओपीडी छोड़कर चले गए डाक्टर, इंटर्न के भरोसे मरीज

ग्वालियर जिला अस्पताल की ओपीडी में डाक्टर पूरे समय नहीं बैठ रहे हैं। दो बजे तक ओपीडी के समय से पहले ही चिकित्सक अपना कक्ष छोड़ देते हैं। सोमवार को ओपीडी में डेढ़ बजे के बाद कक्ष क्रमांक 105, 107, 127 की कुर्सी खाली मिली, जबकि सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक ओपीडी संचालित होने का नियम है, लेकिन ड्यूटी के प्रति डाक्टर गंभीर नहीं हैं। ओपीडी में डाक्टर जहां देरी से आते हैं वहीं, वह समय से पहले ही कुर्सी छोड़ देते हैं। इससे ओपीडी के समय तक अस्पताल पहुंचने वाले मरीज इंटर्न के भरोसे रहते हैं।

जिला अस्पताल की ओपीडी में डेढ़ बजे के बाद यही नजारा दिखा। ईएनटी विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ कक्ष में मरीज देखते मिले। मरीजों का पर्चा बनाने का काउंटर चालू था, लेकिन पर्चा बनवाकर ओपीडी में पहुंच रहे मरीजों को डाक्टर नहीं मिले। डाक्टरों की अनुपस्थिति का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। मरीजों को इलाज के नाम पर सिर्फ इंतजार कराना पड़ता है। अल्ट्रासाउंड जांच पहले से बंद जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच पहले से बंद है। ऐसे में मरीजों को जांच के लिए परेशान होना पड़ रहा है। अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर अस्पताल प्रबंधन ने डाक्टर अवकाश पर है, की पर्ची चस्पा कर रखी है। जिसे देखकर मरीज वापस लौट रहे हैं। पिछले कई दिनों से यहां यही स्थिति बनी हुई है।

इस कक्ष में मेडिकल स्पेशलिस्ट को बैठना था, लेकिन उनकी जगह इंटर्न बैठी मिलीं। विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाने के लिए मरीजों की भीड़ थी, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में इंटर्न ने ही मरीजों का परीक्षण किया। कुछ मरीजों ने विशेषज्ञ चिकित्सक के आने का इंतजार किया। डाक्टर के नहीं आने पर इंटर्न को दिखाकर वह लौट गए।

इस कक्ष में मेडिसिन विशेषज्ञ की कुर्सी खाली पड़ी थी। मरीज पर्चा बनवाकर डाक्टर को दिखाने यहां पहुंचने के बाद लौट रहे थे। डाक्टर के कक्ष से गायब रहने की वजह पता की, तो बताया गया कि एक डाक्टर वीआइपी ड्यूटी में है और दूसरे डाक्टर की ड्यूटी न्यायालय में लगा दी गई। इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सर्जरी विभाग के कक्ष में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं था, जबकि कक्ष के बाहर मरीज खड़े रहकर डाक्टर का इंतजार कर रहे थे। इतना ही नहीं सर्जरी विभाग के पास स्थित माइनर ओटी में भी कोई नहीं था। ऐसे में मरहम पट्टी के लिए आए मरीजों को वापस लौटना पड़ा।

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