छठ महापर्व का समापन कल, उगते सूर्य अर्घ्य के साथ पूरा होगा व्रत!
हिन्दू धर्म में छठ महापर्व का बहुत अधिक महत्व होता है. इस साल 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी और 6 नवंबर को खरना की परंपरा निभाई गई थी. 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और 8 नवंबर को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा इसके बाद महिलाएं व्रत का पारण कर व्रत को पूरा करेंगी. छठ के चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाता है. छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. छठ का पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. महिलाओं द्वारा छठ का व्रत संतान की लंबी उम्र और उनके खुशहाल जीवन के लिए हर साल रखा जाता है.
छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्य देव और छठ मैया की उपासना का पर्व है. इस दौरान 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. जिस दौरान श्रद्धालु डूबते और उगते सूर्य की पूजा करते हैं. मान्यता है कि सूर्य देव के आशीर्वाद से व्यक्ति को निरोगी जीवन प्राप्त होता है और छठ मैया की कृपा से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है. संतान के सुखी जीवन के लिए भी यह व्रत रखा जाता है. इसके रखने से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है.
छठ व्रत पारण का सही समय
उदयातिथि के अनुसार, छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा. छठ पूजा संपन्न करने के लिए इस तरह से शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा और इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट पर होगा. सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जा सकता है.
छठ व्रत पारण का सही नियम
- पारण का सही समय सूर्योदय के समय होता है. पारण करने से पहले स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें.
- पूजा स्थल को साफ करें और दीपक जलाएं. पारण के लिए प्रसाद तैयार करें.
- प्रसाद में आम तौर पर ठेकुआ, फल, दूध, दही आदि शामिल करें.
- भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करें और उगते सूर्य को अर्घ्य दें.
- पूजा के बाद प्रसाद लोगों को बांटे और खुद ग्रहण कर पारण करें.
- पूजा के बाज जरूरतमंदों को दान अवश्य दें.
- पारण के समय पूरी तरह से शुद्धता का ध्यान रखें.
- पारण में सात्विक भोजन करें.
सूर्य को अर्घ्य देते समय जपते हैं ये मंत्र
छठ महापर्व पर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य एवं अन्य दिनों में उनकी पूजा करते समय नीचे दिए गए मंत्रों का जप करने पर शीघ्र ही लोगों को मनाचाहा वरदान प्राप्त होता है.
ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकंपय माम् भक्तया गृहाणाघ्र्यम् दिवाकर।।
छठ महापर्व का महत्व
चार दिन का पर्व छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य के साथ होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद सूर्य देव और छठ माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की सुख-शांति और सभी कष्टों को दूर करने की कामना करते हैं.
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