स्ट्रैटजी या मोहभंग… महाराष्ट्र चुनाव से पहले अजित पवार ने क्यों बदला गियर?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है. राजनीतिक दल वोटरों पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए सियासी समीकरण सेट करने में जुटे हैं. बीजेपी ने चुनाव प्रचार के लिए अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार दिया है. महाराष्ट्र में इस समय अगर सबसे ज्यादा किसी के बयान की चर्चा है तो वो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. योगी ने यूपी में दिए अपने नारे को महाराष्ट्र में भी आजमाया जिसके बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया. बयान को लेकर इस कदर सियासत हुई कि महायुति में शामिल एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने अपना गियर बदल दिया.
दरअसल, बुधवार को सीएम योगी महाराष्ट्र में चुनावी जनसभा को संबोधित करने के लिए अमरावती पहुंचे हुए थे. जहां, उन्होंने कहा कि मैं शिवाजी से प्रेरणा लेकर बार-बार कहता हूं कि जब-जब बंटेंगे, तब-तब कटेंगे. अगर एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे. इससे पहले सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव में प्रचार करते हुए कहा था कि बंटेंगे तो कटेंगे. अमरावती में सीएम योगी के बयान पर महाविकास अघाड़ी की प्रतिक्रिया पर किसी को आश्चर्य नहीं था, लेकिन महायुति में शामिल अजित पवार ही बयान के विरोध में उतर पड़े.
अजित पवार बोले- महाराष्ट्र में सिर्फ शिवाजी की विचारधारा चलेगी
एनसीपी के मुखिया और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार से जब सीएम योगी के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा महाराष्ट्र में नहीं चलेगा. यहां की जनता सब जानती है और सब कुछ समझती है. महाराष्ट्र में सिर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज की विचारधारा चलेगी. अब अजित पवार के इस बयान के अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. कहा ये भी जा रहा है कि अजित पवार को अपने वोटबैंक और उम्मीदवारों की चिंता है इसलिए उन्होंने सीएम योगी के नारे से खुद को किनारा कर लिया.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार ने इसलिए सीएम योगी के बयान का समर्थन नहीं किया क्योंकि इससे मुस्लिम वोटरों के खिसकने का डर है. इसके साथ-साथ एनसीपी अजित पवार गुट ने नवाब मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है जो मुस्लिम समुदाय से हैं. ऐसे में अगर अजित पवार योगी के नारे का समर्थन करते हैं तो पार्टी में भी मतभेद की भी स्थिति पैदा हो सकती है. इसलिए अजित पवार को कहना पड़ा कि महाराष्ट्र में ये सब नहीं चलेगा.
नवाब मलिक के टिकट का बीजेपी ने किया था विरोध!
कहा तो ये भी जाता है कि बीजेपी ने अजित पवार से नवाब मलिक को चुनाव मैदान में नहीं उतारने की सलाह दी थी. इसके बाद भी नवाब मलिक मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से नामांकन किया और अब वो चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि महायुति में भी कुछ-कुछ बिंदुओं पर मतभेद हैं, खासकर बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी के बीच में.
कुछ लोग इसे महायुति की स्ट्रैटेजी भी मानकर चल रहे हैं. क्योंकि अजित पवार अगर सीएम योगी के बयान का समर्थन कर देते हैं तो मुस्लिम वोटरों के छिटकने का डर है. ऐसे में अगर किसी सीट पर अजित पवार को नुकसान उठाना पड़ा तो फिर अंत में नुकसान महायुति को ही होगा. इसलिए महायुति में शामिल तीनों दल अपने-अपने एजेंडे के हिसाब से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं.
20 नवंबर को चुनाव, 23 को नतीजे
महाराष्ट्र चुनाव में महायुति की बात करें तो बीजेपी की ओर से 148, शिंदे गुट की शिवसेना की ओर से 80 और अजित पवार की ओर से 52 उम्मीदवार मैदान में हैं. इसके अलावा गठबंधन में शामिल अन्य दलों के नेताओं ने भी नामांकन किया है. राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.